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शीला दीक्षित के अंतिम संस्कार में भी कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी, दूरी बनाते दिखे ये नेता

नई दिल्ली । शीला दीक्षित के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस में चल रही गुटबाजी उनके निधन के बाद भी खत्म नहीं हुई। आलम यह रहा कि उनकी अंतिम विदाई में भी दिल्ली कांग्रेस के काफी नेता महज रस्म अदायगी के ही लिए शरीक हुए। यहां तक कि प्रदेश पार्टी कार्यालय में भी शीला के अंतिम दर्शन का कार्यक्रम भी अंत समय में बदल दिया गया।

शनिवार को एस्कॉर्ट अस्पताल में पक्ष-विपक्ष के काफी नेता पहुंचे। बड़ी संख्या में नेता कांग्रेस मुख्यालय भी पहुंचे और निगम बोध घाट पर भी। लेकिन, प्रदेश प्रभारी पीसी चाको की अनुपस्थिति चर्चा में थी। अजय माकन निगम बोध घाट तो पहुंचे, लेकिन घर नहीं। कार्यकारी अध्यक्ष देवेंद्र यादव कांग्रेस मुख्यालय में नजर आए। कार्यकारी अध्यक्ष हारून यूसुफ भी निगम बोध घाट में ही दिखे जबकि राजेश लिलोठिया हर जगह थे। बॉक्सर विजेंद्र कहीं नहीं पहुंचे।

चाको-माकन गुट के नेता पार्थिव शरीर से रहे दूर

पार्टी सूत्रों के मुताबिक शीला के परिवार की ओर से भी ऐसी व्यवस्था की गई थी कि चाको-माकन गुट के नेता पार्थिव शरीर के समीप न आने पाएं। शायद इसीलिए प्रदेश कार्यालय में जो आयोजन हुआ, वह कुछ ही मिनटों में समेट दिया गया। हालांकि जानकारों की मानें तो जिस तरह शीला के निधन से सारी दिल्ली में शोक की लहर दौड़ी अगर प्रदेश कांग्रेस एकजुट होती तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ही तरह शव यात्रा निकालकर विधानसभा चुनाव के लिए माहौल बना सकती थी।

बहरहाल, शीला को अंतिम विदाई देने वालों में योगानंद शास्त्री, फरहाद सूरी, डॉ. एके वालिया, किरण वालिया, महाबल मिश्र, रमेश कुमार, जयप्रकाश अग्रवाल, जयवीर सिंह नागर, जितेंद्र कोचर, एआइसीसी सदस्य ओमप्रकाश विधूड़ी, चतर सिंह, मुकेश शर्मा सहित ढेरों नेता उपस्थित रहे। महाबल ने शीला को मैथिली-भोजपुरी अकादमी के गठन के लिए भी याद किया तो विधूड़ी ने उन्हें आधुनिक दिल्ली की वास्तुकार बताया।

बारिश में भी डटे रहे बड़े नेता

बड़े नेता बारिश में भी निगम बोध घाट पर डटे रहे। गृह मंत्री अमित शाह, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रियंका और रॉबर्ट वाड्रा, उपराज्यपाल अनिल बैजल, मुख्यमंत्री केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री सिसोदिया, हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर व अन्य नेता मौजूद रहे।

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