अजब-गजबअद्धयात्मउत्तर प्रदेश

समाज को सशक्त बनाकर संस्कृति और राष्ट्र को जीवंत रखा जा सकता है : विनय कटियार

जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत तिन देखि तैसी : मुरलीधर
कारसेवकपुरम/अयोध्या : राम मंदिर निर्माण के निमित्त सतीश वैष्णव अध्यक्ष, अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण सेवा संघ द्वारा आयोजित राम कथा के पांचवें दिन राजकुमार राम और लक्ष्मण जब महर्षि विश्वामित्र के साथ जनकपुर पहुंचे, जहाँ राजा जनक ने उनका स्वागत, सम्मान किया । राम और लक्ष्मण ने गुरु की आज्ञा से नगर का भ्रमण किया । जनकपुर के नर-नारी इतने भाव विभोर हुए कि सुमन वर्षा के साथ अपने मन का भी उन्होंने भगवान के चरणों में अर्पण कर दिया । सबने अपने-अपने भावों से भगवान देखा – जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत तिन देखीं तैसी ।। दोनों कुमारों ने जनकपुर के बाज़ारों, महलों, भवनों को देखा और समृद्धि का आकलन किया। अगले दिन गुरुदेव विश्वामित्र ने पूजा के लिए दोनों भाइयों को पुष्प लाने भेजा । राम, लक्ष्मण ने पुष्प वाटिका में सीता को देखा । मानो भक्ति चली आ रही हो और कामदेव नृत्य कर रहे हों । माता सीता ने भगवान राम को देखा और मन ही मन निहारते हुए माँ पार्वती के पूजन वंदन के लिए पुष्प वाटिका के मंदिर में गईं। उन्होंने पूजा करते हुए माँ की स्तुति की।
जय-जय-जय गिरिराज किशोरी, जय महेश मुख चंद्र चकोरी ।
जय गजबदन षडानन माता, जगत जननी दारुण दुख दाता ।।
देवी पूजी पद कमल तुम्हारे, सुर-नर मुनि जन होहिं सुखारे ।।
और मानों मां पार्वती ने मां सीता के मन की बात जान ली मन वांच्छित फल प्राप्ति का आशीष दिया। उधर, राम, लक्ष्मण पूजा के फूल लेकर गुरुदेव के पास पहुंचे।
महाराज मुरलीधर ने धनुष यज्ञ की कथा सुनाते हुए कहा कि माता सीता के पिता राजा जनक ने स्वयंवर में अपनी प्रतिज्ञा सुनाई और राजाओं को धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए आमंत्रित किया। जब किसी राजा से धनुष नहीं टूटा तो सहस्त्र राजाओं ने एक साथ धनुष उठाने का प्रयास किया, लेकिन वे भी धनुष को हिलाने तक में असमर्थ रहे । उसके बाद राजा जनक ने यह संताप किया कि शायद उन्होंने धनुष तोड़कर बेटी का विवाह करने का संकल्प गलत लिया है और पृथ्वी को वीरों से खाली बताया। लक्ष्मण उठे और राजा जनक की बात का प्रतिकार करते हुए गुरुदेव की आज्ञा से भाई राम से धनुष भंग का आग्रह किया। गुरु की आज्ञा और भाई के आग्रह से राम जी ने धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाई तो वह टूट गया और माता सीता ने राम जी को माला पहनकर वरन किया।
वहीँ प्रसिद्ध भजन गायक अवधरत्न से सम्मानित स्वामी देवेंद्र दास ने राम मंदिर निर्माण के जोशीले भजन प्रस्तुत किये। कथा के मध्य में जगतगुरु करपात्री महाराज, रामेश्वर दास रामायणी महाराज हनुमत धाम, महंत धर्मदास, महाराज, स्वामी प्रज्ञानन्द हनुमान गढ़ी पधारे। बजरंग दल अध्यक्ष विनय कटियार ने आरती से पूर्व अपने उद्बोधन में कहा कि कथा संस्कृति को समाज से जोड़ती है। कथा से किसी समाज की शक्ति को जोड़ा जा सकता है, समाज को सशक्त बनाकर संस्कृति और राष्ट्र को जीवंत रखा जा सकता है। समाज को जोड़े रखने के लिए कथा एक बहुत बड़ा साधन है। गुलामी के समय में जब धर्म-कर्म पर चोट थी, रोक थी तो तो हर घर में बाबा तुलसी दास जी की रामायण की ने ही संस्कृति को जोड़े रखा। लोग एकदूसरे के घरों में जाकर रामायण का पाठ करते थे और एक दूसरे को जोड़ रखते थे। आज भी रामायण हमें उर्जा देती है।

Related Articles

Back to top button