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सांप्रदायिकता नहीं, इस बार जाति व विकास पर केंद्रित हैं गुजरात चुनाव

नई दिल्ली : भाजपा का मानना है कि वह गुजरात में कांग्रेस को इस बार भी अच्छे अंतर से पराजित करेगी। वह इसके लिए बाबरी मस्जिद विवाद पर दांव लगा रही है, जिसकी अंतिम सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में पांच दिसंबर से शुरू हो रही है। इसके कुछ दिनों बाद ही राज्य में मतदान होना है। इसके साथ ही पार्टी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई छवि पर भी भरोसा है। गुजरात मोदी का गृहराज्य है और इससे भी बड़ी बात यह है कि यहां लोग उन्हें पसंद करते हैं। भाजपा का मानना है कि पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के खेमे में फूट का उसे फायदा मिलेगा। कांग्रेस के साथ पाटीदारों के मतभेद लगातार बढ़ रहे हैं। भाजपा इसे अपने लिए अच्छी खबर मान रही है। अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की अंतिम सुनवाई पांच दिसंबर से सुप्रीम कोर्ट में शुरू हो रही है, जिसके चार दिन बाद नौ दिसंबर को गुजरात में पहले चरण का मतदान होगा। माना जाता है कि सुप्रीम कोर्ट इसकी सुनवाई नहीं टालेगा क्योंकि वह इसमें और देरी नहीं करना चाहता। भाजपा को पता है कि यह संवेदनशील मुद्दा है और उसे इसका उसे राजनीतिक लाभ मिल सकता है।

उल्लेखनीय है कि गोधरा में फरवरी 2002 में एक ट्रेन जलाए जाने से अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी, जिसके बाद गुजरात में दंगे भड़के थे। इस मामले से राज्य में ध्रुवीकरण हुआ, जिसका आसर आज भी किसी न किसी रूप में दिखाई देता है। हालांकि, इस बार का गुजरात चुनाव जाति और विकास के मुद्दे पर केंद्रित है। इससे ध्रुवीकरण का प्रभाव कम हुआ है। इससे भाजपा की चिंता बढ़ी है। अब तक भाजपा हार्दिक पटेल के आरक्षण आंदोलन, ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर के उठाए मुद्दों और दलित नेता जिग्नेश मेवानी के प्रभाव को कम करने की रणनीति पर काम कर रही है। इन तीनों ने कांग्रेस का समर्थन किया है। ठाकोर तो कुछ समय पहले कांग्रेस में शामिल भी हो गए थे। हालांकि, टिकटों के बंटवारे को लेकर हाल में हार्दिक गुट के साथ कांग्रेस की कुछ अनबन हुई है।

दूसरी तरफ भाजपा बाबरी मस्जिद मामले से प्रदेश में ध्रुवीकरण के जोर पकड़ने की उम्मीद कर रही है। उसे मोदी के करिश्मा का भी आसरा है। मोदी गुजरात में दो दर्जन रैलियों को संबोधित कर सकते हैं। अगर पिछले रेकॉर्ड को देखा जाए तो इन रैलियों की संख्या में बढ़ोतरी से इनकार नहीं किया जा सकता। मोदी 25 नवंबर से रैलियों की शुरुआत करेंगे और यह मतदान प्रक्रिया पूरी होने तक जारी रहेंगी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी राज्य में महासचिव भूपेंद्र यादव और अनिल जैन के साथ प्रचार कर रहे हैं। भाजपा ने अब तक मेहसाणा और कुछ अन्य जिलों की 36 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम जारी नहीं किए हैं।

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