अद्धयात्म

सालो बाद सावन में बन रहा अद्भुत संयोग, ऐसा करने से दूर होगी आपकी सारी बाधाएं

इस बार सावन में 32 सालों बाद अद्भुत संयोग बन रहा है। इस बार 32 साल बाद मैदान व पहाड़ का सावन एक ही दिन शुरू होने जा रहा है।

पूर्णिमा 16 से 17 जुलाई तक रहेगी। पहला सोमवार दोनों पद्धतियों को मानने वालों का एक ही दिन होगा। इस बार चंद्रमा और सूर्य मास के हिसाब से सावन मानने वाले लोगों का सावन एक साथ शुरू होगा। सावन में भोले बाबा को खुश करने के लिए शिवलिंग पर जलाभिषेक कर बेलपत्र, दूध, दही, गंगाजल, फूल, फल चढ़ाकर विशेष पूजा अर्चना करना शुभ होगा।

आमतौर पर पहाड़ और मैदानों में अलग-अलग महीनों में सावन मनाया जाता है। सावन के महीने में सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है। सोमवार के दिन शिव मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहता है। देवशयनी एकादशी के साथ ही चार्तुमास या चौमासा भी शुरू हो गया है। जिससे चार महीने तक मांगलिक कार्य बंद हो गए हैं।

शास्त्रों के अनुसार इन चार महीनों में कोई शुभ कार्य शुरू नहीं किया जाता। मान्यता है कि इन चार महीनों के लिए भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं। जिस वजह से शुभ कार्यों पर चार महीने के लिए विराम लग जाता है।

चार माह बाद देवोत्थान एकादशी से मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। इस दौरान धार्मिक आयोजन जैसे कथा, हवन, अनुष्ठान आदि करने का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष 12 जुलाई से मांगलिक कार्यों पर विराम गई है। चतुर्मास आषाढ़ मास के शुक्ल एकादशी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है।

इन चार महीनों में विवाह संस्कार सहित गृह प्रवेश समेत अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते। भगवान विष्णु के निंद्रा में चले जाने के बाद चार माह तक सृष्टि के संचालन का जिम्मा शिव परिवार पर रहता है। इस दौरान पवित्र श्रावण मास आता है जिसमें एक माह तक भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है।

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