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सूचना देने में लापरवाही, अधिशासी अभियन्ता पर 25 हजार का अर्थदण्ड


लखनऊ : सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत लखनऊ निवासी असलम सिद्दीकी ने 26.12.2015 को जनसूचना अधिकारी, उ.प्र. खेल निदेशालय, लखनऊ को आवेदन-पत्र देकर कुछ बिन्दुओं की जानकारी चाही थी कि उ.प्र. बैडमिन्टन एकेडमी, विपिन खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ में बैडमिन्टन एकेडमी खोलने के उद्देश्य से दिनांक 24.03.1999 में दस एकड़ जमीन विकास प्राधिकरण, लखनऊ द्वारा आवंटित की गयी थी। आवंटित जमीन बहुत ही कम दर पर इस आशय से दी गयी थी कि इससे प्रदेश में खेल का विकास होगा, परन्तु वर्तमान में उक्त बैडमिन्टन एकेडमी में शादी/विवाह जैसे कार्यक्रम भी धड़ल्ले से किए जा रहे है, जिसमें प्रति बुकिंग लाखों रूपये की अवैध आमदनी बैडमिन्टन एकेडमी द्वारा की रही है। इसकी जानकारी क्या बैडमिन्टन एकेडमी को है, क्या शादी/विवाह आदि प्रोग्राम एकेडमी की इजाजद से आयोजित होते है, खेल निदेशालय द्वारा अब तक इस पर क्या कार्यवाही की गयी है, आदि से सम्बन्धित बिन्दुओं की प्रमाणित छायाप्रतियाॅं उपलब्ध करायी जाये। मगर इस सम्बन्ध में वादी को कोई जानकारी नहीं दी गयी। अधिनियम के तहत मामले में जानकारी न मिलने पर वादी ने राज्य सूचना आयोग में आवेदन-पत्र देकर सम्बन्धित प्रकरण की विस्तृत जानकारी चाही है। प्रतिवादी आरएन सिंह, उप्र खेल निदेशालय, लखनऊ सुनवाई में उपस्थित हुए। उन्होंने आयोग को लिखित तौर बताया कि वादी जिस प्रार्थना-पत्र की सूचना चाह रहे हैं, उसका सम्बन्ध विकास प्राधिकारण, लखनऊ से हैं तथा विकास प्राधिकारण, लखनऊ द्वारा बताया गया कि वादी जिस प्रार्थना-पत्र की सूचना चाह रहे हैं, उसका सम्बन्ध अधिशासी अभियन्ता, प्रवर्तन जोन-1 ट्रांस गोमती, लखनऊ से सम्बन्धित है, हमने वादी के प्रार्थना-पत्र को अधिनियम की धारा 6(3) के तहत अन्तरित कर दिया है, इस आशय की जानकारी प्रतिवादी ने आयोग को दी है। आयोग द्वारा अधिशासी अभियन्ता, प्रवर्तन जोन-1 ट्रांस गोमती, लखनऊ को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (1) के तहत नोटिस जारी कर आदेशित किया कि वादी द्वारा उठाये गये, बिन्दुओं की बिन्दुवार सभी सूचनाएं अगले 30 दिन के अन्दर अनिवार्य रूप से वादी को उपलब्ध कराते हुए, आयोग को अवगत कराये, अन्यथा जनसूचना अधिकारी स्पष्टीकरण देंगे कि वादी को सूचना क्यों नहीं दी गयी है, क्यों न उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाये, परन्तु प्रतिवादी ने न तो वादी द्वारा उठाये गये बिन्दुओं की सूचना वादी को उपलब्ध करायी है, और न ही आयोग के समक्ष उपस्थित हुए है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिवादी जानबूझकर वादी को सूचना उपलब्घ नहीं करना चाहता है। इसलिए प्रतिवादी अधिशासी अभियन्ता, प्रवर्तन जोन-1 ट्रांस गोमती, लखनऊ को वादी को सूचना उपलब्ध न कराने का दोषी मानते हुए, उनके विरूद्ध आज की तिथि से 250/- प्रतिदिन का अर्थदण्ड अधिरोपित किया जाता है, जो कि 25,000 है।
सुनवाई के दौरान वादी ने एक प्रार्थना-पत्र 18.12.2017 आयोग के समक्ष पेश किया है, जिसमें वादी ने आयोग से अनुरोध किया है कि प्रकरण भ्रष्टाचार एवं जनहित से सम्बन्धित है, इसलिए इस मामले में जांच कराया जाना न्यायहित में है, वादी के प्रार्थना-पत्र को स्वीकार किया किया गया। वादी/प्रतिवादी दोनों की बहस सुनी गयी, दोनों ने प्रकरण में जांच हेतु लिखित रूप से सहमति दी है। इसलिए आयोग यह समझता है कि इस पूरे प्रकरण में जांच कराया जाना न्यायहित में है। आयोग ने सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 18 (2) के तहत प्रकरण में जांच आरम्भ कर दी है। अतः अपर मुख्य सचिव, आवास विभाग, उ0प्र0 शासन, बापू भवन सचिवालय, लखनऊ को इस आशय से आदेशित किया जाता है कि सम्बन्धित मामले में वादी के प्रार्थना-पत्र 26.12.2015 एवं 18.12.2017 को शामिल करते हुए, वादी एवं प्रतिवादीगणों के बयान कलमबन्द करते हुए, जांच करें, और सम्बन्धित सभी अभिलेख (आख्या) अगले 30 के अन्दर आयोग के समक्ष पेश करें, जिससे प्रकरण मे अन्तिम निर्णय लिया जा सके।

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