दस्तक-विशेषफीचर्ड

मुझे ये यक़ीं है खुदा है तुझमें

आशुतोष राणा

स्त्री के प्रति पुरुष की दृष्टि में बदलाव होगा या नहीं? यह यक्ष प्रश्न है। किंतु सुश्री साक्षी व सिंधु जैसी कई अन्य स्त्रियों की वर्तमान महानतम उपलब्धियाँ निश्चित ही स्त्री दृष्टि में क्रांतिकारी परिवर्तन का सूचक है।
माना जाता है की जब जब स्त्री की दृष्टि में परिवर्तन होता है तब तब सृष्टि में परिवर्तन होता है। यह सफलता उस स्त्री दृष्टि की कहानी नहीं है जो बराबरी के हक़ के लिए या स्वयं को पुरुष के जैसा सक्षम साबित करने के लिए प्रयासरत है। ये उस स्त्री अस्मिता की दास्तान है जो स्त्री होने में, स्त्री की सक्षमता में अखंड विश्वास रखती है। जो किसी के ख़िलाफ़ नहीं स्वयं के पक्ष में खड़ी है, यह तुलनात्मक स्त्री का पुरुषार्थ प्रदर्शन नहीं अपितु अतुलनीय स्त्री की जिजीविषा का महाघोष है। यह गौरव गर्जना है उस मातृशक्ति की जो सृजक भी है और संहारक भी।

आग है, पानी है, हवा है तुझमें।
मुझे ये यक़ीं है खुदा है तुझमें।।

“महिला दिवस पर मातृशक्ति का शत् शत् वंदन अभिनन्दन व हार्दिक धन्यवाद।”शुभम भवतु ???

Related Articles

Back to top button