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स्मिता पाटिल अमिट कहानी, ”मौत के बाद सुहागिन की तरह हो सिंगार”

बॉलीवुड की मरहूम एक्ट्रेस स्मिता पाटिल का फिल्मी सफर सिर्फ 10 साल का रहा, पर काम ऐसा कि आज भी वो चर्चा में रहता है। वो ना सिर्फ फिल्मों, बल्कि राज बब्बर से अपने सम्बन्धों की वजह से भी चर्चा में रहीं। मौत के बाद भी उन्होंने चर्चा बटोरी। सिर्फ 31 साल की उम्र में उनकी अचानक मौत आज भी रहस्यमयी है।

मुंबई: स्मिता पाटिल फिल्म इतिहास का वो पन्ना है जो कभी भुलाया नहीं जा सकता। ऐसी अदाकारी कि लोग देखें तो देखते रह जाएं। ऐसी शालीनता कि शर्म भी शरमा जाए। मगर स्मिता को जब लोगों ने देखा, तो उन्हें नजर आया सिर्फ उनका काला रंग। यह उस वक्त की बात है, जब स्मिता अपने कुछ अलग ही सपनों की दुनिया में खोई थीं। सिनेमा से उनका कोई लेना-देना नहीं था और लोग उन्हें उनके सांवले रंग के चलते काली कहकर बुलाते थे। आज उनके जन्मदिन (17 अक्टूबर) पर जब उनका ये नाम फिर एक बार सुनाई देता है, तो पुराने कई किस्से फिर ताजा हो जाते हैं, और फिल्म प्रेमियों का मन फिर उन्हीं यादों में खो जाता है।अपने सशक्त अभिनय से पहचान बनाने वाली स्मिता पाटिल का जन्म 17 अक्टूबर 1956 में हुआ था। उनका नाम स्मिता रखने जाने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। असल में जन्म के समय उनके चेहरे पर मुस्कराहट देख कर उनकी मां विद्या ताई पाटिल ने उनका नाम स्मिता रख दिया। यह मुस्कान आगे चलकर भी उनके व्यक्तित्व का सबसे आकर्षक पहलू बना। स्मिता पाटिल अपने गंभीर अभिनय के लिए जानी जाती हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते है कि फिल्मी परदे पर सहज और गंभीर दिखने वाली स्मिता पाटिल असल जिंदगी में बहुत शरारती थीं। मगर जिंदगी के रंगों ने उन्हें एक नई पहचान दी और स्मिता की एंट्री हुई सिनेमा की दुनिया में। इससे पहले का उनका सफर भी कम मजेदार नहीं था. फिल्म एक्ट्रेस बनने से पहले स्मिता दूरदर्शन (पुणे) में बतौर एंकर काम करती थीं। बताया जाता है कि न्यूज शो होस्ट करने का भी उनका अंदाज निराला ही था। न्यूज शो ऑन एयर होने से कुछ ही मिनट पहले स्मिता जींस पर फटाफट साड़ी बांध लेती थीं। उनके न्यूज शो को देखकर ही उन्हें फिल्मों में ब्रेक मिला। फिल्ममेकर श्याम बेनेगल ने उन्हें फिल्म ‘चरणदास चोर’ में कास्ट किया। जिस वक्त उन्हें फिल्मों में ब्रेक मिला, उस वक्त स्मिता एंकरिंग के साथ-साथ बेहतरीन फोटोग्राफर भी बन चुकी थीं। ‘स्मिता को वायरल इन्फेक्शन की वजह से ब्रेन इन्फेक्शन हुआ था। प्रतीक के पैदा होने के बाद वो घर आ गई थीं। वो बहुत जल्द हॉस्पिटल जाने के लिए तैयार नहीं होती थीं, कहती थीं कि मैं अपने बेटे को छोड़कर हॉस्पिटल नही जाऊंगी। जब ये इन्फेक्शन बहुत बढ़ गया तो उन्हें जसलोक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। स्मिता के अंग एक के बाद एक फेल होते चले गए।’ जीवन के आखिरी दिनों में स्मिता का राजबब्बर के साथ रिश्ता भी कुछ बहुत सहज नहीं रह गया था। स्मिता पाटिल की एक आखिरी इच्छा थी। उनके मेकअप आर्टिस्ट दीपक सावंत बताते हैं, ‘स्मिता कहा करती थीं कि दीपक जब मर जाउंगी तो मुझे सुहागन की तरह तैयार करना।’ दीपक ने कहा कि एक बार उन्होंने राज कुमार को एक फिल्म में लेटकर मेकअप कराते हुए देखा और मुझे कहने लगीं कि दीपक मेरा इसी तरह से मेकअप करो और मैंने कहा कि मैडम मुझसे ये नहीं होगा। ऐसा लगेगा जैसे किसी मुर्दे का मेकअप कर रहे हैं।’ ये बहुत दुखद है कि एक दिन मैंने उनका ऐसे ही मेकअप किया। शायद ही दुनिया में ऐसा कोई मेकअप आर्टिस्ट होगा जिसने इस तरह से मेकअप किया हो।’ मरने के बाद उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक, स्मिता के शव का सुहागन की तरह मेकअप किया गया। 21 साल की उम्र में उन्हें ‘भूमिका’ फिल्म में अपनी दमदार अदाकारी के लिए पहला नेशनल अवॉर्ड मिला था। आज भी उनकी फिल्मों में निभाए किरदार फिल्म फेस्टिवल्स में चर्चा का विषय बनते हैं। भूमिका, मंथन, आक्रोश, चक्र, चिदंबरम, मिर्च मसाला जैसी कई आर्ट फिल्मों से उन्होंने अपनी अहम जगह बनाई। कहा जाना चाहिए कि अपने सिर्फ दस साल के करियर में स्मिता ने वो कर दिखाया, जिसे करने में एक पूरी उम्र कम पड़ती है। 10 साल में उन्होंने हिंदी और मराठी की लगभग 80 फिल्मों में काम किया। करियर के एक अहम मुकाम पर पहुंचने के बाद स्मिता की जिंदगी में प्यार ने दस्तक दी और उन्हें अभिनेता राज बब्बर से प्यार हो गया। राज बब्बर उस वक्त शादीशुदा थे। राज बब्बर भी स्मिता से बेहद प्यार करने लगे थे। दोनों का एक बेटा भी हुआ प्रतीक बब्बर। प्रतीक भी अब बॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। स्मिता को निजी जिंदगी में ना तो शादी का सुख मिला, न ही मां बनने का। वह प्रतीक को जन्म देने के कुछ ही घंटों के भीतर चल बसीं।

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