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हरदम रहता था बंदूकधारियों का पहरा, जिस रास्ते पर निकलते थे उस पर पहले से तैनात रहते थे सुरक्षाकर्मी

पाकिस्तान के ननकाना साहेब गये जत्थे के जत्थेदार सरदार प्रीतम सिंह ने बया किया यात्रा विवरण 

-के पी त्रिपाठी

मेरठ : पश्चिम यूपी और पंजाब से पाकिस्तान ननकाना साहब गया 400 सिखों का जल्था 12 नवंबर को वापस आ गया। इस जल्थे का नेतृत्व मेरठ के कंकरखेडा निवासी सरदार प्रीतम सिंह ने किया। पत्रिका से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान सरदार प्रीतम सिंह ने अपनी पाकिस्तान यात्रा के संस्मरणों को साझा किया।  

दो तारीख को बार्डर पार किया और 12 तारीख तक रहे

सरदार प्रीतम सिंह कहते हैं कि इस जत्थे में वे मेरठ से एकमात्र सदस्य थे। उनको जत्थे का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिली थी। दो नवंबर को हम लोगों ने बाघा बार्डर पार किया और हम ननकाना साहेब पहुंच गए। ननकाना साहेब जाते समय हमारे साथ पाकिस्तान खुफिया एजेंसी के दो लोग थे। जो हमारी जैसी ही पंजाबी भाषा बोल रहे थे। शाम को 5 बजे के बाद सुरक्षा कर्मी जहां हम रूके थे वहां पर ताला बंद कर देते थे। सुरक्षा बलों ने हमे कोड वर्ल्ड बताया हुआ था। उनके बताए कोड वर्ल्ड के बाद ही हम भीतर से दरवाजा खोलते थे।  

अपनी दिल्ली जैसा है लाहौर

दो दिन ननकाना साहेब (गुरूनानक देव जी का जन्मस्थान) रहने के बाद वे लाहौर में गए। लाहौर में जत्थे के सभी लोग खूब घूमें फिरे। वहां पर घूमने की कोई मनाही नहीं थी। लाहौर के बाजार और वहां की गलियां बिल्कुल ऐसी थी जैसे दिल्ली की। लाहौर में घूमकर कहीं यह नहीं लगा कि हम पाकिस्तान में है वहां हमें यही लगा कि हम अपनी दिल्ली में ही घूम रहे हैं। 

ननकाना साहेब में आतंकियों का डर

ननकाना साहेब में हमको बाहर निकलने के लिए मना किया हुआ था। वहां पर हमको गुरूद्वारे में ही रखा जाता था। आखिर हम वहां पर धार्मिक कार्य से गए थे। घूमकर करते भी क्या। जिस गाडी में हम रहते थे उस गाडी में छह सिक्योरिटी वाले खुफिया एजेंसी वाले और बम डिस्पोजल दस्ते के लोग रहते थे। जिस रास्ते से हम निकलते थे उस रास्ते पर पहले से ही सिक्योरिटी वाले मौजूद रहते थे।

बंटवारे से आई है राजनैतिक नफरत

सरदार प्रीतम सिंह कहते हैं कि भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से राजनैतिक नफरत आई है। जबकि दोनों देशों के लोग आभी भी आपस में वैसे ही प्रेमभाव रखते हैं। पाकिस्तान में कुछ इलाकों में कट्टरवाद और भारत विरोधी मानसिकता के लोग होने के कारण ही दोनों देशों के बीच दुश्मनी की खाई चौडी होती गई। राजनैतिक नफरत के कारण ही दोनों देशों के बीच शत्रुता पनपी है। वहां के मुसलमान समझते हैं हिन्दुस्तान हमारा परिवार है। आज भी हिन्दुस्तान के रिश्तेदार पाकिस्तान में रह रहे हैं और पाकिस्तानियों के रिश्तेदान हिन्दुस्तान में।

बाघा बार्डर पार करते ही जमा हो गए हमारे सिम

 सरदार प्रीतम सिंह कहते हैं बाघा बार्डर पार करते ही जत्थे में शामिल सभी लोगों के सिम जमा कर लिए गए। उसके बाद हमको पाकिस्तान के सिम दिए गए और उनको रिचार्ज करवाने के रूपये ले लिए। पाकिस्तान से जब वे अपने घर बात किया करते थे तो उनकी काल रिकार्ड की जाती थी। एक काल्स की कीमत करीब 18 रूपये प्रति मिनट होती थी। प्रतिदिन चालीस रूपये का रिचार्ज करवाने की छूट थी। उससे अधिक रिचार्ज नहीं करवा सकते थे।  

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