ज्ञान भंडार

हरियाणा : किसानों ने किया प्रदर्शन

गुरुग्राम: अखिल भारतीय किसान सभा की राज्य कमेटी के आह्वान पर प्रदेश भर में होने वाले कमिश्नरी स्तर के प्रदर्शनों की कड़ी में वीरवार को कमला नेहरू पार्क में मेवात, पलवल, फरीदाबाद, गुड़गांव व रेवाड़ी से आए किसानों ने सभा व प्रदर्शन कर प्रधान मंत्री के नाम कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा। कार्यक्रम की संयुक्त अध्यक्षता किसान नेता धर्म चंद पलवल, धर्मपाल यादव, काले खान मेवात व मेजर एसएल प्रजापति तथा संचालन डाक्टर रघुबीर सिंह ने किया। राज्य अध्यक्ष मास्टर शेर सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डाक्टर इंद्रजीत सिंह, राज्य सचिव फूल सिंह श्योकंद, डाक्टर वीरेंद्र मालिक, केंद्रीय कमेटी प्रतिनिधि मनोज कुमार व जिला स्तर के पदाधिकारियों ने कहा कि आज खेती व किसान कि जो हालत बनी हुई है उससे हम सब परिचित हैं। सरकार कि किसान विरोध नीतियों ने खेती को घाटे का सौदा बना दिया है। आमदनी घटने से कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है इसी कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं।

शिक्षा व स्वास्थ्य आम आदमी कि पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं। खास तौर पर वर्तमान बीजेपी कि सरकार में आम आदमी अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है। सरकार बनाने से पहले वादा तो 50 ज्यादा देने का किया था लेकिन इस बात से सरकार बिलकुल मुकर गई है बल्कि पशुओं कि खरीद फरोख्त व भूमि अधिग्रहण जैसे काले कानून लाकर जीएसटी के बहाने खेती में प्रयोग होने वाली वस्तुओं को महंगा कर मुसीबत ही बढ़ा दी है। किसान सभा लगातार संघर्ष कर रही है। मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र के किसान आंदोलनों के बाद अब हरियाणा के किसानों में भी उत्तेजना है। विगत 16 मई को किसान सभा ने जिला स्तर पर धरने प्रदर्शन करके रोष प्रकट किया था। 2 जुलाई को राज्य के नौ किसान संगठनों ने जींद में महा पंचायत कर संयुक्त रूप से आंदोलन तेज करने का फैसला लिया, जिस के तहत 24 जुलाई को हिसार, 2 अगस्त को रोहतक, 17 अगस्त यानि आज, गुडग़ावं में प्रदर्शन किए गए। 28 अगस्त को अम्बाला कमिश्नरी के करनाल में मुख्य मंत्री हरियाणा के निवास का घेराव करना भी तय है।

वक्ताओं ने कहा कि बीजेपी सरकार द्वारा कारपोरेट घरानों को तो लाखों करोड़ की छूट दी जा रही है, जबकि किसान मजदूर के कर्जा माफी के नाम पर सरकार अपने आप को दिवालिया घोषित कर हाथ खड़े कर रही है। किसान नेताओं ने प्रधान मंत्री के नाम दिये ज्ञापन में मांग कि है कि सरकार जल्द से जल्द स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करे तथा कर्जा माफ करके कर्जा मुक्ति बोर्ड का गठन किया जाए। आवारा पशुओं पर रोक लगाई जाए तथा पशुओं कि खरीद फरोख्त के कानून को रद्द किया जाए। फसल बीमा योजना के नाम पर निजी बीमा कंपनियों द्वारा जारी लूट को बंद किया जाए तथा सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिए मुआवजा सुनिश्चित किया जाए। किसानों कि फसल का लाभकारी मूल्य देकर सभी फसलों कि सरकारी खरीद सुनिश्चित कि जाए।

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