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हाथियों के संरक्षण और जागरूकता बढ़ाने के लिए भारत में पहली बार गज महोत्सव


नई दिल्ली : एशियाई हाथियों के संरक्षण के लिए दिल्ली में गज महोत्सव का आयोजन हुआ। भारत सरकार और वन्य जीवन ट्रस्ट ने कलाकारों की मदद से हाथियों के संरक्षण और जागरूकता बढ़ाने के लिए 101 कलाकृतियां पेश की। देश-विदेश से आए कलाकारों ने लकड़ी, बोतल, बोल्ट, बेत (बांस), नारियल की रस्सी, मेटल और ई-वेस्ट से अनेक आकार, रंग और रूप के हाथी बनाए। कलाकारों ने अपनी कल्पना की उड़ान का इस्तेमाल करते हुए हाथियों और इंसान के रिश्ते को उकेरने की कोशिश की। 2017 में हुई गणना के मुताबिक भारत में एशियाई हाथी की संख्या 30,000 से ज्यादा है। महोत्सव के दौरान इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में 101 आदमकद हाथियों को दर्शाया गया जो देश के 101 हाथी गलियारों के संरक्षण की ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रतीक है। वन संरक्षण की नजर से देखा जाए, तो ये गलियारे वन्य जीवों के लिए सुरक्षित हैं लेकिन कई बार शिकारी हाथियों के दांत के लिए उन्हें मौत के घाट उतार देते हैं। आधुनिकीकरण और औद्योगीकरण के पीछे भाग रहे इंसानों की वजह से जंगल घट रहे हैं और वहां रहने वाले जानवर खतरे में पड़ रहे हैं। कलाकारों का कहना है कि जंगल में रहने वाले जानवरों के संरक्षण पर जोर देना होगा ताकि विकास के साथ पर्यावरण में संतुलन बना रहे। इसके जरिए पर्यावरण, जंगल और प्रकृति को बचाने का संदेश दिया गया है। इस्तेमाल की गई सैकड़ों बोतल की मदद से प्लास्टिक का हाथी तैयार किया गया है।

जंगल की कटाई और पर्यावरण को हो रहे नुकसान की वजह से जंगली जानवरों के विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। भारत में रहने वाले कई हाथी हर साल ट्रेन से कटकर, जहर खाने से, बिजली के करंट लगने से और सड़क हादसों में मारे जाते हैं। जंगल से निकलकर जब हाथी आबादी वाले इलाकों में जाते हैं तो उनकी जान को खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। इंसान और जानवर का टकराव कई बार जानलेवा भी साबित होता है। 2010 में हाथियों को राष्ट्रीय विरासत पशु घोषित किया गया था। इसका उद्देश्य हाथियों की घटती संख्या पर जागरूकता फैलाना भी है। पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2009 और 2017 के बीच 655 हाथियों की मौत के मामले दर्ज किए गए। इसमें ट्रेन से हाथियों के कटने के 120 मामले भी शामिल हैं। भारत के वन्य जीवन ट्रस्ट की ब्रांड अंबेस्डर दीया मिर्जा का कहना है कि वन्य जीवों के संरक्षण के काम में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ना ही इस समस्या से निजात पाने का एकमात्र उपाय है, गज महोत्सव के जरिए लोगों में वन्य जीवों और हाथियों को संरक्षित करने का सकारात्मक संदेश जाएगा। गज महोत्सव के दौरान एक वाइल्ड एंथम भी जारी किया गया है। इस एंथम के बोल है, प्यारी है मुझे देश की जमीन, मेरे देश की जमीन। यहां ना कोई कमी, हरियाली की बस्ती है यहां। हवा-हवा में मस्ती है यहां। इस गीत को लिखा है मशहूर गीतकार प्रसून जोशी ने और इसे गाया है श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान और विशाल डडलानी ने। भारत में हाथियों की एक बड़ी समस्या भोजन है। जगह और भोजन की कमी के चलते हाथी इंसानी बस्तियों में दाखिल हो जाते हैं और वहां तोड़फोड़ करते हैं।

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