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हाथ न होते हुए भी युवती चलाती है कार, आनंद महिंद्रा ने की तारीफ

तिरुवंतपुरम : उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने वीडियो शेयर किया है तथा इसे साहस की परिभाषा बताया है। वैसे यह तो कोविड—19 से जुड़ा नहीं है लेकिन बहुत प्रेरित करने वाली है। कुछ समय पहले इस महिला की कहानी बताई थी जो कि केरल की रहने वाली है तथा हाथ न होते हुए भी ड्राइविंग लाइसेंस रखती है। यह एशिया की पहली महिला है जो कि दिव्यांग होने के बाद भी ड्राइविंग लाइसेंस रखती है, वह अपने पैरो से कार चलाती है। यह 28 साल की जिलुमोल मैरिएट थॉमस भी हैं, जिनके जन्म से ही दोनों हाथ नहीं हैं।

असल में में जिलुमोल एक बहुत ही दुर्लभ बीमारी थैलिडोमाइड सिंड्रोम नाम की बीमारी से ग्रसित हैं, जिसकी वजह से उनके दोनों हाथ जन्म से ही नहीं हैं, लेकिन अब जिलुमोल को एक नई और अलग पहचान मिली है। जिलुमोल हाथ न होते हुए भी अपनी कार को ड्राइव करती हैं। जी हां, वो अपने पैरों से कार को ड्राइव करती हैं।

जिलुमोल केरल के थोडुपुज्हा के पास करिमानूर गांव की रहने वाली हैं। वो बचपन से ही अपनी कार को पैरों से ड्राइव करके अपने इलाके में घूमती हैं और बहुत ही आसानी से सभी कंट्रोल्स को नियंत्रित करती हैं। अब उनकी एक नई वीडियो सामने आई है जिसको देखकर आनंद महिंद्रा ने उनका वह वीडियो शेयर किया है तथा लिखा है कि “इसे देखने के बाद अब शायद मैं साहस शब्द का मतलब बेहतर समझ पाया हूं, यह कोविड से जुड़ा हुआ नहीं है लेकिन ऐसे समय संकट के समय में यह हमें आस्था देगी हमारें सामने आने वाले सभी चुनौतियों को पार पा सकेंगे।”

जिलुमोल ने 2014 में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आरटीओ में आवेदन किया था। उन्हें साल 2018 में हाईकोर्ट के दरवाजे खटखटाने पड़ें। इसके बाद उन्हें केंद्र सरकार द्वारा अनुमति दी गयी और उन्हें लर्नर ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया गया है।

अब राज्य सरकार पर निर्भर करता है, जिलुमोल को पर्मानेंट ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा या नहीं जारी किया जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि टेस्ट के दौरान अधिकारियों को कुछ संदेह हुआ था और उनको लाइसेंस देने से इंकार कर दिया गया है। इससे पहले देश में एक और अन्य व्यक्ति विक्रम अग्निहोत्री को ड्राइविंग लाइसेंस दिया गया था और उनके भी हाथ नहीं है। यह सच में बहुत ही प्रेरित करने वाला है तथा अन्य लोगों को प्रेरणा देता है।

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