अजब-गजब

हॉकिंग ने दी बड़ी चेतावनी: वे आएंगे और नष्ट कर देंगे मानवता को!

वे आएंगे और नष्ट कर देंगे हमारी मानवता को. उनके सामने हम मनुष्य निरीह प्राणी बन जाएंगे. हम उनसे मुकाबला नहीं कर पाएंगे और इस तरह से दुनिया पर उनका राज होगा. जेनेटिंग इंजीनियरिंग से सुपरह्यूमन की एक नई नस्ल तैयार होगी जो हमारी सभ्यता के लिए खतरनाक साबित होगी. प्रख्यात वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने अपनी मौत से पहले यह चेतावनी दी थी.

हॉकिंग ने दी बड़ी चेतावनी: वे आएंगे और नष्ट कर देंगे मानवता को! ब्रिटिश लेखक और वैज्ञानिक हॉकिंग ने दहशत पैदा करने वाली यह अंतिम भविष्यवाणी की है जो उनके लेखों और निबंधों के अंतिम संस्करण में आएगा. ये अगले कुछ दिनों में प्रकाशित होंगे. स्टीफन हॉकिंग का 76 वर्ष की अवस्था में मार्च महीने में निधन हो गया था. हॉकिंग के ये लेख ‘ब्रीफ ऑन्सर्स टु द बिग क्वेश्चंस’ के नाम से किताब की शक्ल में आएंगे.

समाचार एजेंसी के मुताबिक, हॉकिंग ने इसमें लिखा है, ‘एक बार जब ऐसे सुपरह्यूमन आएंगे तो वे दुनिया में जबर्दस्त राजनीतिक समस्याएं पैदा करेंगे और इंसान उनका मुकाबला नहीं कर पाएंगे.’ उनमें खुद सेल्फ डिजाइनिंग की होड़ होगी और वे काफी तेजी से अपने भीतर सुधार करेंगे.

हॉकिंग का कहना है कि धनी लोग जल्दी ही खुद में सुधार तो कर ही सकेंगे, अपने बच्चों के डीएनए में बदलाव कर उन्हें सुपरह्यूमन बना देंगे. इन सुपरह्यूमन के अंदर ज्यादा मेमोरी, रोगों की प्रतिरोध शक्ति, इंटेलीजेंस और ज्यादा उम्र तक जीने की क्षमता होगी.

हॉकिंग ने लिखा है, ‘मुझे भरोसा है कि इस शताब्दी के दौरान लोग इंटेलीजेंस और आक्रामकता जैसे स्वभाव में बदलाव करने की क्षमता हासिल कर लेंगे. हो सकता है कि मनुष्यों में जेनेटिक इंजीनियरिंग के खिलाफ कई जगह कानून पारित हो जाए, लेकिन मेमोरी, बीमारियों की प्रतिरोधक क्षमता, उम्र बढ़ाने जैसी चीजों के बारे में प्रयास को रोका नहीं सकेगा.’

हॉकिंग ने कहा कि डीएनए एडिटिंग सिस्टम से साइंटिस्ट नुकसानदेह जीन में बदलाव या उसमें नया जोड़ने जैसा काम कर पाएंगे. इस टेक्नोलॉजी का आविष्कार छह साल पहले ही हुआ है.

कई साइंटिस्ट ने हॉकिंग की भविष्यवाणी का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे पृथ्वी को विनाश से बचाया जा सकेगा, क्योंकि इससे हम पहले से सचेत हो जाएंगे. एक साइंटिस्ट ने कहा, ‘इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि इस ग्रह की चुनौतियों का सामना करने के मामले में व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से हमारे दिमाग की सीमित क्षमता है.

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