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15 साल की उम्र में प्रधानमंत्री से मिलने पहुंची शीला दीक्षित

नई दिल्ली : बात उन दिनों की है जब देवानंद किशोरियों के दिल पर राज कर रहे थे। पहला फिजी ड्रिंक ‘गोल्ड स्पॉट’ भारतीय बाजारों में प्रवेश कर चुका था। टेलीविजन की शुरुआत नहीं हुई थी। यहां तक कि रेडियो में भी कुछ ही घंटों के लिए कार्यक्रम आते थे। एक दिन 15 साल की बच्ची शीला ने तय किया कि वो प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से मिलने उनके ‘तीनमूर्ति’ वाले निवास पर जाएंगी। वो ‘डूप्ले लेन’ के अपने घर से निकलीं और पैदल ही चलते हुए ‘तीनमूर्ति भवन’ पहुंच गईं। गेट पर खड़े एकमात्र दरबान ने उनसे पूछा, आप किससे मिलने अंदर जा रही हैं? शीला ने जवाब दिया ‘पंडितजी से’। उन्हें अंदर जाने दिया गया। उसी समय जवाहरलाल नेहरू अपनी सफेद ‘एंबेसडर’ कार पर सवार हो कर अपने निवास के गेट से बाहर निकल रहे थे। शीला ने उन्हें ‘वेव’ किया। उन्होंने भी हाथ हिला कर उनका जवाब दिया। दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास की पढ़ाई करने के दौरान शीला की मुलाकात विनोद दीक्षित से हुई जो उस समय कांग्रेस के बड़े नेता उमाशंकर दीक्षित के इकलौते बेटे थे।

शीला याद करती हैं, “हम इतिहास की ‘एमए’ क्लास में साथ थे। मुझे वो कुछ ज्यादा अच्छे नहीं लगे। मुझे लगा पता नहीं वो अपने-आप को क्या समझते हैं। थोड़ा अक्खड़पन था उनके स्वभाव में। उन्होंने बताया, “एक बार हमारे कॉमन दोस्तों में आपस में गलतफहमी हो गई और मामले को सुलझाने के लिए हम एक-दूसरे के नजदीक जरूर आ गए।” दिल्ली में 15 साल तक मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित यूपी की बहू होने के साथ पंजाब की बेटी भी रही हैं। शीला दीक्षित का जन्म पंजाब के कपूरथला में 31 मार्च 1938 को हुआ। ब्राह्मण समुदाय से ये ताल्लुक रखती हैं, लेकिन उन्होंने शिक्षा से लेकर राजनीति की जमीन दिल्ली में बनाई। दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज तक का सफर तय करने वाली शीला ने दिल्ली में सीएम की सबसे बड़ी पारी खेली। हालांकि, अपने आखिरी विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।

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