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22 जून को आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे सूर्य, अनियमित बारिश और सूखे की आशंका

ज्योतिष डेस्क : मानसून व वर्षा के लिए सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश का बहुत महत्व है। आर्द्रा नक्षत्र के स्वामी राहु हैं। सूर्य वर्ष में एक बार सभी नक्षत्रों को पार कर लेता है। आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य 22 जून के आस-पास प्रवेश करता है। माना जाता है कि सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ ही वातावरण में उमस आरंभ हो जाती है और वर्षा के लिए बादल तैयार हो जाते हैं। आर्द्रा प्रवेश के समय लग्न कुंडली, तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण के प्रभाव के द्वारा आने वाले मानसून के बारे में आकलन किया जाता है। इस वर्ष सूर्य का आर्द्रा प्रवेश 22 जून 2019 को नई दिल्ली में भारतीय मानक समय शाम को पांच बजकर 07 मिनट 30 सेकेंड पर वृश्चिक लग्न में हो रहा है। उस समय आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि, धनिष्ठा नक्षत्र, विष्कुम्भ योग, तैतिल करण एवं कुंभ का चंद्र होगा। सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में 6 जुलाई 2019 को शाम को 4 बजे तक रहेंगे। इस अवधि में मंगल कर्क राशि में पुनर्वसु नक्षत्र में 27 को पुष्य नक्षत्र में रहेंगे। बुध कर्क राशि में पुनर्वसु नक्षत्र में 24 के बाद पुष्य नक्षत्र में, गुरु वृश्चिक राशि ज्येष्ठा नक्षत्र में वृष राशि में शुक्र 23 से मृगशिरा नक्षत्र में, शनि धनु राशि में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में, राहु मिथुन राशि पुनर्वसु नक्षत्र में, केतु धनु राशि पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में रहेंगे। सर्वतोभद्र चक्र के अनुसार, राहु का मूल नक्षत्र में वेध, केतु का आर्द्रा नक्षत्र में वेध, शनि का हस्त नक्षत्र में वेध, गुरु का स्वाति नक्षत्र में वेध, सूर्य का पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में वेध, शुक्र का चित्रा नक्षत्र में वेध, बुध का ज्येष्ठा नक्षत्र में वेध, मंगल का 27 तक मूल में वेध और उसके बाद ज्येष्ठा नक्षत्र में वेध रहेगा। सूर्य के आर्द्रा प्रवेश कुंडली के अनुसार, मानसून और वर्षा का निम्न फल होगा। वृश्चिक लग्न में आर्द्रा प्रवेश हो रहा है, जो गुप्त स्थान की जल तत्व की राशि है और रुके हुए जल को प्रदर्शित करती है। देश मे खण्ड वर्षा का अनुमान है। वर्षा की अनियमितता हो सकती है। पंचमी पूर्णा तिथि को आर्द्रा प्रवेश से मानसून अनिश्चित रहने की संभावना है। कभी तेज, कभी धीमा कभी, थोड़ी देर के लिए या कभी बदलों का आकर, बिन बरसे चले जाने जैसी घटानाएं हो सकती हैं। धनिष्ठा नक्षत्र पुनः मंगल का नक्षत्र हैं। मंगल गोचर में सूर्य से आगे भ्रमण कर रहे हैं। कुशल सुखी प्रजा के लिए राजा के पीछे सेनापति को होना चाहिए। सेनापति के राजा से आगे निकलने का अर्थ है कि स्थिति सामान्य नहीं है। इसलिये सेनापति सक्रिय हैं। मंगल का सूर्य से आगे गोचर भी वर्षा में बाधा बनता है। शुरुआत में कम वर्षा व जनमानस में उपद्रव की स्थिति बनती है। मंगल से आगे सूर्य निकलने पर अच्छी बारिश हो सकती है पर अधिकतर जल नाली में जाकर व्यर्थ होने की संभावना बनती हैं। शुरुआत में स्थिति प्रतिकूल रहेगी, मानसून धोखा देगा, लेकिन बाद में ठीक होगी। वक्री शनि, केतु के साथ कम वर्षा, अधिक उपद्रव के संकेत दे रहे हैं। पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश से भूस्खलन और बाढ़ की स्थिति बन सकती है। इन स्थानों पर वर्षा से संपत्ति क्षय हो सकता है और मकान धराशायी हो सकते हैं। मैदानी भागों में वायु का जोर अधिक बने रहने से कम वर्षा का योग है। यहां सिंचाई के लिए वैकल्पिक साधनों का प्रयोग करना होगा। पश्चिम भारत में भी कम वर्षा का योग है। महाराष्ट्र के तटीय भाग में अच्छी वर्षा और अंदरूनी भाग में सामान्य से कम वर्षा होगी। सूर्य के आर्द्रा प्रवेश के समय मंगल-शनि प्रतियुति, बुध-मंगल युति, मंगल-राहु युति, गुरु का पृथ्वी के निकट होना। ये सभी दुर्योग हैं, जिसमे जल और वायु संबंधित उपद्रव होंगे। कई क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा और सूखा पड़ने की आशंका है। जनता गर्मी-उमस से बेहाल रहेगी, वायुमंडलीय दाब बढेगा। सूर्य के मंगल से आगे निकलने तक ये स्थिति बनी रहेगी। विषकुंभ योग में आर्द्रा प्रवेश से नेताओं के बोलों से जन अशांति, कृषक वर्ग दुखी रहेगा। तैतिल करण में आर्द्रा प्रवेश से अन्न धान्य की काला बाजारी हो सकती है।

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