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22 सालों से एक ही स्कूल में तैनात हैं सीएम रावत की पत्नी


देहरादून : शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा के तबादले के बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पत्नी की तैनाती से जुड़े एक पत्र ने अब नई चर्चा को शुरू कर दिया है। शुक्रवार को आरटीआई के जरिए मांगी गई सूचना के जवाब में सामने आए एक पत्र ने अब सीएम की पत्नी को ही कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है।
आरटीआई के जवाब में मिले इस पत्र में शिक्षा विभाग ने अपने जवाब में बताया है कि सीएम रावत की पत्नी सुनीता रावत को देहरादून के अजायबपुर के प्राथमिक विद्यालय में 27 जून 1996 में तैनाती दी गई थी, इसके बाद 24 मई 2008 को उनका प्रमोशन भी किया गया। हालांकि इस प्रमोशन के बाद भी सीएम रावत की पत्नी का तबादला किसी अन्य जिले में नहीं हुआ। गौरतलब है कि जिस वक्त सुनीता रावत का प्रमोशन किया गया उस समय उत्तराखंड में बीजेपी के बीसी खंडूरी मुख्यमंत्री थे। वहीं इस आरटीआई के जवाब के मीडिया में आने के बाद अब इस मामले में विपक्ष को चर्चा के लिए एक और मुद्दा जरूर मिल गया है।
उत्तराखंड में गुरुवार शाम से ही एक शिक्षिका द्वारा सीएम के जनता दरबार में हंगामा करने की खबर पर सियासी घमासान मचा हुआ है। गुरुवार को शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा सीएम दरबार में ट्रांसफर की मांग लेकर पहुंचीं थीं। शिक्षिका को जब बोलने का मौका मिला तो उन्होंने अपनी मांग रखी। शिक्षिका ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के बीजेपी के नारे को लेकर भी सीएम के सामने तंज कस दिया। यहीं से सीएम रावत भड़क गए। दोनों के बीच तू तू-मैं मैं बढ़ता गया। सीएम ने भी ‘इसे तुरंत सस्पेंड करो और बाहर निकालो’ का आदेश जारी कर दिया। इसके बाद शिक्षिका चोर-उचक्का कहकर गुस्से में शोर मचाने लगीं। सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें जनता दरबार से बाहर कर दिया। दुखी शिक्षिका ने कहा कि सीएम ने कहा, ‘इसे बाहर ले जाओ। इसे क्या होता है। मैं क्या कोई गई-गुजरी हूं? मुझे कोई पूछने वाला नहीं है? शिक्षिका ने रोते हुए कहा कि उनके पति नहीं हैं और भाई नहीं हैं तो उन्हें कोई पूछने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि जब एक सीएम महिला शिक्षिका को ऐसा कह रहे हैं तो शिक्षिका क्यों नहीं जवाब दे सकती। उन्होंने कहा कि मैंने जो कहा, ठीक कहा और भगवान भी रहते तो यही बात कहती।

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