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40 लाख की आबादी वाला क्रोएशिया पहली बार विश्व कप फाइनल में, मनाया जश्न


जगरेब : क्रोएशिया ने बुधवार देर रात खेले गए दूसरे सेमीफाइनल मैच में इंग्लैंड को 2-1 से मात देकर फीफा विश्व कप के 21वें संस्करण के फाइनल में जगह बना ली है। क्रोएशिया पहली बार फाइनल में पहुंचा है, जहां उसका सामना रविवार को फ्रांस से होगा। अगर क्रो‍एशिया विश्वकप जीता तो वह इतिहास रच देगा। ज्ञात हो कि क्रोएशिया यूरोप का छोटा सा देश है। क्रोएशिया के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है। एक छोटा-सा देश जिसने अभी करीब 27 पहले ही आजादी पाई हो, फुटबॉल के कई दिग्गजों को हराकर फाइनल में पहुंचा है। इसके साथ ही यूरोप के इस छोटे से देश के बारे में लोग इंटरनेट पर सर्च करने लगे हैं। असल में क्रोएशिया के बारे में बाकी दुनिया के लोगों की जानकारी बहुत कम है। क्रोएशिया का अपना इतिहास काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है और उसने काफी संघर्ष किया है।

क्रोएशिया 1991 में ही युगोस्लाविया से आजाद हुआ। क्रोएशिया के आधुनिक फुटबॉल टीम का गठन इसकी आजादी से महज एक साल पहले 1990 में ही किया गया था और इसे 1993 में फीफा और यूईएफए से मान्यता मिली। क्रोएशिया मध्य और दक्षिण-पूर्व यूरोप का एक छोटा-सा देश है जिसकी जनसंख्या महज 42 लाख है, इतनी जनसंख्या तो हमारे देश के किसी बड़े शहर की होती है, इसके पड़ोसी देशों में हंगरी, सर्बिया, बोस्निया और हर्जेगोविना शामिल हैं। साल 2016 के आंकड़ों के अनुसार इसकी जनसंख्या करीब 42 लाख थी। जनसंख्या के हिसाब से इसका दुनिया में स्थान 125वां है। यहां के लोगों की जीवन प्रत्याशा 78.20 वर्ष है, यहां सबसे ज्यादा 90.4 फीसदी लोग क्रोएट, 4.4 फीसदी सर्ब और उसके बाद 5.9 फीसदी बोस्नियाक्स, हंगेरियाई, इटैलियन, जर्मन, चेक, रोमन आदि मूल के लोग हैं।

सातवीं सदी में क्रोएशिया एक ड्यूक का इलाका था और 10वीं सदी में यह एक राजशाही में बदल गया। 12वीं सदी के बाद इस पर एक शासक और संसद का शासन तो रहा लेकिन हंगरी और ऑस्ट्रिया जैसे पड़ोसी देशों का प्रभुत्व रहा। 15वीं से 17वीं सदी के बीच इसका ऑटोमन साम्राज्य से कड़वा संघर्ष चलता रहा, इसके बाद बीसवीं सदी में यह युगोस्लोवाकिया का हिस्सा रहा, इसे फिर 1991 में आजादी हासिल हुई। प्रथम विश्व‍युद्ध में क्रोएशिया में जनधन की बड़े पैमाने पर हानि हुई, यहां शासन कर रहे हब्सबर्ग साम्राज्य का अंत हुआ और यह 1918 में यह युगोस्लाविया का हिस्सा बन गया। 1980 में युगोस्लाविया के मशहूर शासक जोसिप टीटो की मौत के बाद देश में आर्थ‍िक, राजनीतिक और धार्मिक परेशानियों का दौर शुरू हो गया। सोवियत संघ और पूरे पूर्वी यूरोप में कम्युनिस्टों का पतन होने लगा जिससे युगोस्लाविया में भी माहौल बदलने लगा। 23 जनवरी 1990 को युगोस्लाविया की कम्युनिस्ट लीग ने अपनी 14वीं कांग्रेस में क्रोएशिया के ऊपर से राजनीतिक आधिपत्य खत्म करने का निर्णय लिया। 22 अप्रैल और 7 मई 1990 को क्रोएशिया में पहली बार बहुदलीय चुनाव हुए जिसमें क्रोएशियन डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी को 42 फीसदी मतों के साथ जीत हुई और कम्युनिस्ट पार्टी को सिर्फ 26 फीसदी वोट मिले। साल 2014-15 के चुनाव में जीतकर कोलिंदा ग्रैबर कितारोविक क्रोएशिया की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं हैं।

2 मई 1991 को क्रोएशिया की संसद ने आजादी के पक्ष में जनमत संग्रह कराया और 93.24 फीसदी लोगों ने आजादी के पक्ष में वोट किया। इसके बाद 25 जून 1991 को क्रोएशिया की संसद ने युगोस्लाविया से अपनी आजादी की घोषणा कर दी, लेकिन इसके बाद भी क्रोएशिया की मुश्किलें खत्म नहीं हुईं, यहां 1995 तक विभिन्न नस्लों के बीच सशस्त्र संघर्ष जारी रहा, यहां बोस्निया से आए करीब 7 लाख शरणार्थ‍ियों को बसाया गया था। 1 जुलाई 2013 को क्रोएशिया यूरोपीय संघ का सदस्य बना।

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