अद्धयात्मजीवनशैली

7 दिसम्बर को पड़ रहा है मार्गशीर्ष अमावस्या, पितृदोष दूर करने के 6 अचूक उपाय

ज्योतिष डेस्क : 7 दिसंबर 2018 को मार्गशीर्ष अमावस्या है। यह माह कृष्ण भक्ति का माना गया है। अत: इस माह कृष्ण पूजन के साथ विष्णु के मंत्रों का जाप करना विशेष फलदायी माना गया है। अगर आप पितृ दोष से होने वाली परेशानियों से गुजर रहे हैं तो यह उपाय बहुत लाभदायी साबित होंगे तथा आगामी समय में उसके शुभ फल भी मिलेंगे। पौराणिक शास्त्रों में इस अमावस्या का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन का भारतीय जनजीवन में अत्यधिक महत्व हैं। मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की इस अमावस्या के दिन नदी स्नान और तीर्थक्षेत्र में स्नान-दान का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन शिवालय में जाकर भगवान शिव का कच्चे दूध, दही से अभिषेक कर उन्हें काले तिले अर्पित करने का विशेष महत्व है। इस दिन अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें और ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ मंत्र का जाप करें। उसके बाद पितृसूक्त का पाठ करना शुभ फल प्रदान करता है। इस दिन दक्षिणाभिमुख होकर दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण करना चाहिए। पितृस्तोत्र या पितृसूक्त का पाठ करना चाहिए।

त्रयोदशी को नीलकंठ स्तोत्र का पाठ करना, पंचमी तिथि को सर्पसूक्त पाठ, पूर्णमासी के दिन श्री नारायण कवच का पाठ करने के बाद ब्राह्मणों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दिवंगत की पसंदीदा मिठाई तथा दक्षिणा सहितभोजन कराना चाहिए। इससे पितृ दोष में कमी आती है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही भगवान श्री हरि विष्णु के मंदिर पीले रंग की ध्वजा अर्पित करना चाहिए, इससे आपके सारे कष्ट दूर होंगे तथा जीवन में सबकुछ शुभ घटित होगा। यह अमावस्या सुख-सौभाग्य और धन-संपत्ति की प्राप्ति के लिए विशेष मानी जाती है। अत: इस दिन यह उपाय अवश्‍य किए जाने चाहिए। इसके अलावा प्रत्येक संक्रांति, अमावस्या और रविवार के दिन सूर्य देव को ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ का बीज मंत्र पढ़ते हुए 3 बार अर्घ्य दें।

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