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70 लाख को रोजगार देने का लक्ष्य

दस्तक टाइम्स ब्यूरो

यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान जब भारतीय जनता पार्टी जोरशोर से प्रचार में जुटी थी तो उसने इस प्रदेश से पलायन रोकने और बेरोजगारों को रोजगार देने तथा रोजगार सुलभ हो सके ऐसा माहौल बनाने का वादा किया था। हालांकि पार्टी ने अपने घोषणा पत्र जिसे उसने संकल्प पत्र का नाम दिया था उसमें और भी कई वायदे किए थे। सूबे की सत्ता की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले उसी कैनवास में रंग भरना शुरू किया जिसका कि खाका पार्टी ने खींचा था। एक-एक करके वायदों को अमली जामा पहनाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। योगी सरकार ने रोजगार के नजरिये से सबसे ज्यादा जोर कौशल विकास पर दिया है और साथ यह संकल्प लिया है कि अगले पांच वर्षों में सिर्फ इसी के माध्यम से 70 लाख नौजवानों को रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा। इसी सोच के तहत श्रम एवं सेवायोजन विभाग ने प्रथम रोजगार समिट का आयोजन भी किया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने इरादे भी साफ कर दिए। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां निवेश फ्रेंडली नीतियों के परिणाम अब दिखने लगे हैं और राज्य में निवेश का रुझान बढ़ा है। इसके अलावा श्रम कानूनों का सरलीकरण एवं निवेशकों की सुरक्षा की गारण्टी देकर निवेश का वातावरण सृजित किया जा रहा है। अब कौशल विकास को बढ़ावा देकर आगामी पांच वर्षों में करीब 70 लाख नौजवानों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।

मुख्यमंत्री का तर्क था कि प्रारम्भ में कई व्यापारिक गतिविधियों में कोई विशेष सम्भावना नजर नहीं आती, लेकिन बाद में वही बहुत बड़े पैमाने पर बाजार का हिस्सा हो जाती हैं। चाय एवं मोबाइल फोन का उदाहरण सामने रखते हुए उन्होंने कहा कि शुरुआत में चाय की आदत डालने के लिए कम्पनियों द्वारा शिविर लगाए जाते थे। इसी प्रकार प्रारम्भ में मोबाइल फोन भी बहुत कम लोगों द्वारा प्रयोग में लाये जाते थे। लेकिन आज यह दोनों वस्तुएं बाजार में किस प्रकार से स्थापित हो गई हैं, यह किसी से छिपा नहीं है और इनसे लाखों लोगों को रोजगार भी मिले हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति अयोग्य नहीं होता, केवल उसे योग्य योजक की जरूरत होती है। उत्तर प्रदेश सरकार इसी भूमिका को अपनाते हुए सभी नौजवानों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए काम कर रही है। यही वजह है कि सरकार ने नेशनल ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेन्ट नेटवर्क (एनएचआरडीएन) के साथ करार किया ताकि राज्य के नौजवानों की देश के प्रतिष्ठित उद्यमियों तक पहुंच बन सके और उन्हें अवसर भी उपलब्ध हो सकें। एनएचआरडीएन के साथ लगभग 12 हजार 500 से अधिक सदस्य जुड़े हुए हैं, जिसका फायदा प्रदेश के नौजवानों को निश्चित रूप से मिलेगा। इस पोर्टल पर अब तक प्रदेश के 06 लाख नौजवानों ने अपना पंजीयन कराया है। अभी हाल ही में लखनऊ में तीन दिवसीय वृहद रोजगार मेले का आयोजन किया गया, जिसमें 36 कम्पनियों द्वारा करीब 1800 से अधिक अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। मुख्यमंत्री का मत है कि किसी भी समाज के लिए अपने नौजवानों को स्वावलम्बी बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, जिससे यह नौजवान अपने परिवार की देखभाल स्वत: कर सकें। प्रदेश सरकार इसी दिशा में काम कर रही है।

दरअसल केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने कौशल विकास को प्राथमिकता देते हुए अलग से मंत्रालय बनाया है। प्रदेश सरकार, केन्द्र सरकार की इस योजना का लाभ उठाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। मुख्यमंत्री का मानना है कि राज्य के इंजीनियरिंग, पॉलीटेक्निक तथा आईटीआई संस्थानों से निकलने वाले नौजवानों को डिग्रियां, डिप्लोमा तो मिल जाते थे, लेकिन इनको रोजगार के अवसर नहीं मिल पाते थे। यही वजह है कि विश्वसनीयता समाप्त होने के कारण प्रदेश के अधिकांश निजी इंजीनियरिंग कॉलेज बंद होने लगे। वर्तमान शिक्षा सत्र में कई इंजीनियरिंग कॉलेजों ने पठन-पाठन का कार्य बंद करने की अनुमति मांगी थी, जिसे राज्य सरकार ने मानने से इंकार कर दिया। ऐसे इंजीनियरिंग कॉलेजों को सुझाव दिया गया कि वे अपने यहां कौशल विकास का कार्यक्रम संचालित करें। अब इन इंजीनियरिंग कॉलेजों एवं अन्य प्रतिष्ठानों के माध्यम से इस वर्ष करीब 10 लाख नौजवानों को प्रशिक्षित किया जायेगा।

वहीं सरकार ने प्रदेश में स्थापित आईटीआई एवं पॉलीटेक्निक संस्थानों को संचालित करने के इच्छुक उद्योग समूहों को हर सम्भव मदद देने की भी योजना तैयार की है। यह सरकार की सोच ही थी कि नई औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति बनायी और श्रम कानूनों को सरल एवं व्यावहारिक बनाने की दिशा में पहल किया। ऐसे सुधारों में उद्यमियों एवं श्रमिकों, दोनों को लाभ होगा, क्योंकि उद्योग चलेगा तभी रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। मुख्यमंत्री का यह भी मानना है कि कृषि रोजगार का सबसे बड़ा साधन है। लेकिन विगत में इस क्षेत्र की काफी उपेक्षा की गई है। यहां तक कि केन्द्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य भी प्रदेश के किसानों को नहीं मिल पा रहा था। लेकिन वर्तमान राज्य सरकार ने तकनीक का प्रयोग करते हुए इस वर्ष भारी मात्रा में गेहूं की खरीदारी की और तकनीक का प्रयोग करते हुए किसानों की धनराशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजने का काम किया गया। योगी सरकार ने वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट की नीति का पालन करते हुए जनपदों को पहचान दिलाने का काम शुरू किया है।

वहीं योगी सरकार ने केन्द्र की स्टार्टअप योजना को भी आत्मसात करते हुए इसके जरिए लोगों को रोजगार और स्वरोजगार दिलाने के लिए भी कदम बढ़ा दिए हैं। दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच है कि कोई भी समाज तभी प्रगति करता है, जब वहां के सभी वर्ग के लोगों को अवसर मिलें। भारत की ऋषि परम्परा में बताया गया है कि कोई भी अक्षर ऐसा नहीं है, जो मंत्र नहीं बन सकता है। कोई वनस्पति ऐसी नहीं है, जो औषधि न बन सके। साफ है कि समाज में हर चीज उपयोगी है। आवश्यकता है एक योजक की, जो किसी की भी प्रतिभा को समाज के लिए उपयोगी बना सकता है। स्टार्टअप कार्यक्रम ऋषि परम्परा का एक रूप है। उन्नति के लिए आवश्यक है कि टीम स्प्रिट की भावना से काम किया जाए, इसे मूल मंत्र के रूप में अपनाते हुए स्टार्टअप यात्रा प्रदेश के 15 जिलों में शुरू की गयी। वहीं स्टार्टअप कार्यक्रम के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 1,000 करोड़ रुपए के कॉरपस फण्ड की व्यवस्था की गयी है। आने वाले दिनों में सिडबी के साथ एक एमओयू भी हस्ताक्षरित किया जाएगा। कार्यक्रम को प्रोत्साहित करने के लिए कॉल सेण्टर और पॉलिसी इंप्लीमेन्ट एप को भी शुरू किया जाएगा। वहीं शिक्षा को व्यावहारिक बनाने की भी योगी सरकार पक्षधर है जिससे लोगों को स्वावलम्बी बानाने में मदद मिलेगी। स्टार्टअप कार्यक्रम के माध्यम से ब्रेन ड्रेन को रोकने में भी मदद मिलेगी। 

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