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71 साल पहले आजाद हुई थी भारतीय सेना, ये बने थे पहले कमांडर-इन-चीफ

Army Day 2019: आज देशभर में 71वां सेना दिवस मनाया जा रहा है.  ‘सेना दिवस’ देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले वीर सपूतों के प्रति श्रद्धांजलि देने का दिन है. इस मौक पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ट्वीट किया है. 

71 साल पहले आजाद हुई थी भारतीय सेना, ये बने थे पहले कमांडर-इन-चीफजहां पीएम मोदी ने लिखा- “सेना दिवस के अवसर पर हमारे जवानों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं. हम सभी देशवासियों को अपने सैनिकों के दृढ़ संकल्प एवं समर्पण पर गर्व है. मैं उनके अदम्य साहस एवं वीरता को प्रणाम करता हूं.”

सेना दिवस के अवसर पर भारतीय सेना के सभी फौजी भाई-बहनों, युद्धवीरों और उनके परिवारों को बधाई। आप हमारे राष्ट्र के गौरव हैं और हमारी आजादी के रखवाले। सभी भारतवासी चैन की नींद सो सकते है, क्योंकि उन्हें भरोसा है कि आप हमेशा चौकन्ने और सतर्क रहते हैं — राष्ट्रपति कोविन्द इसी के साथ वेस्ट बंगाली की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर ने भी सेना दिवस के मौके पर जवानों को सलाम किया है.

क्यों मनाया जाता है ये दिन

आज ही के दिन यानी 15 जनवरी 1949 को भारतीय सेना पूरी तरह ब्रिटिश सेना से आजाद हो गई थी और फील्ड मार्शल के लेफ्टिनेंट जनरल केएम करियप्पा (कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा) ने जनरल फ्रांसिस बुचर से भारत के कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार संभाला था. इस पद को संभालने के साथ ही वह भारत के पहले कमांडर-इन- चीफ नियुक्त किए गए थे. जिसके बाद से हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है.

क्यों मनाया जाता है ये दिन

आज ही के दिन यानी 15 जनवरी, 1949 को भारतीय सेना पूरी तरह ब्रिटिश सेना से आजाद हो गई थी और फील्ड मार्शल के लेफ्टिनेंट जनरल केएम करियप्पा (कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा) ने जनरल फ्रांसिस बुचर से भारत के कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार संभाला था. इस पद को संभालने के साथ ही वह भारत के पहले कमांडर-इन- चीफ नियुक्त किए गए थे. जिसके बाद से हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है.

कौन थे केएम करियप्पा

करिअप्पा ने 1947 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना का नेतृत्व किया था. कर्नाटक में जन्मे करिअप्पा के प्रथम सेनाध्यक्ष बनने के उपलक्ष्य में 15 जनवरी को सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है. आपको बता दें, करियप्पा के पद ग्रहण करने से पहले भारतीय सेना के अंतिम ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल सर फ्रांसिस बुचर थे. उसके बाद भारतीय सेना आजाद हुई थी. रिपोर्ट्स की मानें तो साल 1949 में भारतीय थल सेना में करीब 2 लाख सैनिक थे. बता दें, करिअप्पा का जन्म 1899 में कर्नाटक में हुआ था. घर में उन्हें सभी लोग प्यार से ‘चिम्मा’ कहकर पुकारते थे. करिअप्पा की प्रारम्भिक शिक्षा माडिकेरी के सेंट्रल हाई स्कूल में हुई. शुरू से ही वह पढ़ाई में बहुत अच्छे थे. उन्हें मैथ्स और चित्रकला बेहद पसंद थी. साल 1917 में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कालेज में एडमिशन ले लिया.

बता दें, अमेरिका के राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन ने उन्हें ‘Order of the Chief Commander of the Legion of Merit’ से सम्मानित किया था. पूरी ईमानदारी से देश को दी गई उनकी सेवाओं के लिए भारत सरकार ने साल 1986 में उन्हें ‘Field Marshal’ का पद प्रदान किया. भारतीय सेना से साल 1953 में रिटायर होने के बाद करियप्पा ने साल 1954 से 1956 तक न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में बतौर हाई कमिश्नर काम किया. करियप्पा यूनाइटेड किंगडम स्थ‍ित Camberly के इंपीरियल डिफेंस कॉलेज में ट्रेनिंग लेने वाले पहले भारतीय थे. यूनाइटेड किंगडम से उन्हें ‘Legion of Merit’ की उपाधि मिली थी.

शहीदों को श्रद्धांजलि

देश की सीमाओं की चौकसी करने वाली भारतीय सेना का गौरवशाली इतिहास रहा है. देश की राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है.

इस दिन सेना प्रमुख दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने वाले जवानों और जंग के दौरान देश के लिए शहादत देने वाले जवानों की विधवाओं को सेना मेडल और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित करती  हैं.

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