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iit_landscape_1458259869एजेन्सी/आईआईटी की एक समिति ने बृहस्पतिवार को आईआईटी की सालाना फीस में तीन गुनी बढ़ोतरी का प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हालांकि, इस विषय पर अंतिम निर्णय के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की अनुमति जरूरी होगी।

मालूम हो कि आईआईटी की मौजूदा सालाना फीस 90 हजार रुपये है। आईआईटी काउंसिल की स्थायी समिति (एससीआईसी) ने दूसरा महत्वपूर्ण सुझाव दिया है कि नेशनल अथॉरिटी ऑफ टेस्ट (नैट) द्वारा एप्टीट्यूड की जांच के लिए डिजाइन की गई प्रस्तावित नई प्रवेश परीक्षा 2017 से शुरू होगी। माना जा रहा है कि इस संदर्भ में भी अंतिम निर्णय ईरानी ही लेंगी।

सूत्रों ने बताया कि आईआईटी के निदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों वाले एससीआईसी ने एक बैठक में आईआईटी बांबे के निदेशक देवांग खाखर की अध्यक्षता वाली उप-समिति द्वारा पहले पेश की गई रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है।

इस उप-समिति ने फीस बढ़ा कर तीन लाख रुपये करने के अलावा आईआईटी की फाइनेंसिंग के लिए कई स्रोतों का सुझाव दिया था। सूत्र ने बताया कि उप-समिति को फिर से इस बात पर विचार करने को कहा गया है कि फीस में होने वाली बढ़ोतरी क्या स्नातकोत्तर स्तर पर पढ़ाई करने वाले छात्रों पर भी लागू होना चाहिए क्योंकि वे फेलोशिप के आधार पर पढ़ाई कर रहे हैं।

अगर एससीआईसी के सुझावों को स्वीकार किया जाता है तो विदेशी छात्रों की फीस भी 4,000 डॉलर सालाना से बढ़ कर 10 हजार डॉलर हो जाएगी।

छात्रों को ब्याज मुक्त कर्ज उपलब्ध कराने की सलाह
सूत्रों ने बताया कि समिति ने इस बात पर भी जोर दिया है कि प्रत्येक  छात्र को विद्यालक्ष्मी स्कीम के तहत बिना कोलैटरल के ब्याज मुक्त शिक्षा ऋण उपलब्ध कराया जाना चाहिए। बेहतरीन विदेशी छात्रों को  आकर्षित करने के लिए आठ देशों में आईआईटी प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का प्रस्ताव भी किया गया है।

आईआईटी कानपुर के छात्रों को झटका, सुविधाओं में होगी कटौती

आर्थिक संकट से गुजर रहे आईआईटी कानपुर में प्रशासन ने अब स्टूडेंटों की सुविधाओं में कटौती का फैसला किया है। जल्द ही गर्ल्स, छात्र हॉस्टल में 24 घंटे बिजली जलाने पर रोक के साथ इंटरनेट और वाई-फाई के इस्तेमाल की समयसीमा तय होगी।

स्टूडेंटों से सालाना 10 हजार रुपये मेंटीनेंस चार्ज वसूलने का भी प्रस्ताव है। अभी तक सालाना 3,600 रुपये लिए जाते हैं। इस सिलसिले में जल्द ही आईआईटी काउंसिल की मीटिंग बुलाई जाएगी।

अंतिम सत्र (जनवरी, फरवरी, मार्च) का बजट न मिलने से आईआईटी में आर्थिक संकट पैदा हो गया है। बोर्ड ऑफ गवर्नर (बीओजी) की मीटिंग में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) से बजट की मांग की गई।

मंत्रालय ने कह दिया किभारी भरकम बजट के इस्तेमाल पर कटौती की जानी चाहिए। सर्व सुविधा संपन्न संस्थान को आंतरिक आय बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके बाद आईआईटी प्रशासन ने खर्चों में कटौती का खाका तैयार किया।

बिजली पर प्रतिमाह तीन करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होता है। गर्ल्स, ब्वायज हॉस्टल में 24 घंटे बिजली इस्तेमाल की जाती है। हर स्टूडेंट के पास लैपटॉप, कंप्यूटर, पंखा, कूलर या एसी है। अब आटोमैटिक स्विच लगाकर बिजली के इस्तेमाल को समयसीमा तय की जाएगी। ऐसा इंफोसिस के मैसूर स्थित ट्रेनिंग सेंटर में होता है। वहां रात 11 बजे के बाद बिजली और कंप्यूटर ऑफ हो जाते हैं। इसी तरह से इंटरनेट और वाई-फाई के खर्च पर भी लगाम कसी जाएगी।

शिक्षक और कर्मचारियों को भी लगेगा झटका
आईआईटी कैंपस में रहने वाले शिक्षक, विज्ञानी और कर्मचारियों को दी जाने वाली सुविधाओं में भी कटौती की जाएगी। हर घर में कंप्यूटर और प्रिंटर लगा है। एसी का खूब इस्तेमाल होता है। घरों में बिजली, पानी की सप्लाई और मेंटीनेंस पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। अब इन सुविधाओं के एवज में अतिरिक्त चार्ज वसूलने का प्रस्ताव है।

बजट नहीं, फिर भी बढ़ा दी स्कालरशिप
आईआईटी में पीएचडी के रिसर्च स्कॉलर की प्रतिमाह स्कालरशिप बढ़ाकर 18 हजार से 30 हजार रुपये कर दी गई है। इसके लिए बजट का अलग से कोई प्रावधान नहीं है। खर्च का सारा बोझ आईआईटी प्रशासन पर आ गया। अब पीएचडी स्कॉलर की फीस और मेंटीनेंस शुल्क में बढ़ोतरी का प्रस्ताव बना है।

”आर्थिक संकट से निजात पाने का रास्ता तलाशा जा रहा है। कुछ खर्चों में कटौती और आंतरिक आय बढ़ाने का प्रस्ताव भी है। इस पर आईआईटी काउंसिल मुहर लगाएगी, फिर मामला मंत्रालय के पास जाएगा। फीस बढ़ोतरी का प्रस्ताव भी बना है।”
प्रो. आर के चतुर्वेदी, डिप्टी डायरेक्टर आईआईटी कानपुर

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