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90 प्रतिशत से अधिक कर्जदाताओं का आश्वासन, 30 सितंबर तक नहीं बेचेंगे रिलायंस ग्रुप के गिरवी शेयर


मुंबई : अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप ने 90 प्रतिशत से अधिक कर्जदाताओं को इस बात पर राजी कर लिया है कि वे कम जमानत या शेयरों के भाव में हाल में आई तेज गिरावट के कारण घटे मार्जिन के कारण वे शेयर 30 सितंबर तक न बेचें, जिन्हें प्रमोटरों ने गिरवी रखा है। रिलायंस ग्रुप के एक प्रवक्ता ने कहा, हमारी कंपनियों की इंट्रिंसिक और फंडामेंटल वैल्यू पर विश्वास जताने के लिए हम लेंडर्स के आभारी हैं। उन्होंने स्टैंडस्टिल अरेंजमेंट्स की सैद्धांतिक सहमति दी है। हमारा ग्रुप लोन अग्रीमेंट्स में दर्ज शेड्यूल के मुताबिक मूल धन और ब्याज चुकाएगा। ग्रुप ने लेंडर्स को यह जानकारी भी दी है कि रिलायंस पावर लिमिटेड में अपनी 30 पर्सेंट की डायरेक्ट शेयरहोल्डिंग संस्थागत निवेशकों को बेचने के लिए इन्वेस्टमेंट बैंकरों को अपॉइंट किया गया है। अगले हफ्ते से रोड शो शुरू होंगे। इसी तरह का अरेंजमेंट जनवरी में एस्सेल ग्रुप ने लेंडर्स के साथ किया था, जिसमें प्रमोटरों को 30 सितंबर तक का समय दिया गया था। म्यूचुअल फंड्स ने रिलायंस ग्रुप में करीब 1,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसमें से इंडियाबुल्स और डीएचएफएल का क्रमश: 14 करोड़ और 85 करोड़ रुपये का निवेश है। बाकी निवेश फ्रैंकलिन टेंपलटन म्यूचुअल फंड का है। फ्रैंकलिन टेंपलटन ने सवालों के जवाब नहीं दिए। उसके एक प्रवक्ता ने 7 फरवरी को कहा था, इन ट्रांजैक्शंस में अवेलेबल कैश टॉप-अप का उपयोग आउटस्टैंडिंग एक्सपोजर घटाने में किया गया था। ट्रांजैक्शंस पर्याप्त रूप से कवर्ड हैं। हम कंपनी के साथ बने रहेंगे। 4 फरवरी से एलऐंडटी फाइनैंस और इडलवाइज ग्रुप ने रिलायंस ग्रुप के शेयरों की बिकवाली की है। इससे रिलायंस पावर और ग्रुप की दूसरी कंपनियों के शेयर भहरा गए। हालांकि एलऐंडटी फाइनैंस का लोन एक्सपोजर अब खत्म हो गया है। वहीं इडलवाइज ग्रुप का केवल 150 करोड़ रुपये बचा है।

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