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92 साल पुरानी परंपरा खत्म, अब एक देश-एक बजट को कैबिनेट की मंजूरी

budget-21-09-2016-1474448429_storyimageसरकारी आय, व्यय और निवेश के प्रस्ताव रखने और पारित करने के मामले में एक बड़े बदलाव वाले निर्णय के तहत मंत्रिमंडल ने सालाना आम बजट फरवरी के अंत की परंपरागत तारीख से एक महीने पहले पेश किये जाने के वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी। इसके साथ ही रेलवे का बजट अलग से पेश करने की नौ दशक से भी अधिक पुरानी परंपरा को भी समाप्त कर उसे आम बजट का हिस्सा बनाने का भी निर्णय किया गया है।
इन फैसलों के तहत अब बजट को सरल बनाने और कामकाज की सुगमता के लिए सरकारी खर्चों को योजना एवं गैर-योजना व्यय में वर्गीकत करने की व्यवस्था समाप्त करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने आम बजट को फरवरी के बजाए एक महीने पहले पेश करने के प्रस्ताव के मंजूरी दे दी। अबतक बजट को फरवरी के आखिरी कार्यदिवस को पेश किया जाता रहा है।
सरकार चाहती है कि पहली अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष से पहले ही उसकी सालाना आय और व्यय के प्रस्तावों को संसद की मंजूरी मिल जाए। बजट सत्र को पहले शुरू करने से इसके लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा।

मंत्रिमंडल ने रेल बजट को आम बजट में मिलाने को भी मंजूरी दे दी है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु पहले ही इसके पक्ष में बोल चुके हैं। इस फैसले के मददेनजर संसद का बजट सत्र अब 25 जनवरी से पहले बुलाया जा सकता है। फिलहाल फरवरी के अंतिम सप्ताह में बजट सत्र शुरू होता है।

इस प्रकार, अब बजट की तैयारियां अक्तूबर के प्रारंभ में ही शुरू हो जाएंगी। जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का अग्रिम अनुमान सात जनवरी को उपलब्ध होगा जो फिलहाल सात फरवरी को प्रस्तुत किया जाता है।

बता दें कि सरकार बीते कुछ दिनों से रेलवे बजट को आम बजट में मिलाने पर विचार कर रही थी। रेल मंत्री सुरेश प्रभु पहले ही बजट के विलय के प्रस्ताव को अपनी सहमति दे चुके हैं। इससे रेल बजट को अलग से पेश करने की 92 साल पुरानी परंपरा खत्म हो गई है। बजट में विभिन्न मंत्रालयों के खर्च को योजना और गैर-योजना बजट के तौर पर दिखाये जाने की व्यवस्था को भी समाप्त किये जाने का प्रस्ताव है।

सरकार का इरादा समूची बजट प्रक्रिया को एक अप्रैल को नया वित्त वर्ष शुरू होने से पहले पूरी करने का है, ताकि बजट प्रस्तावों को नया वित्त वर्ष शुरू होने के साथ ही अमल में लाया जा सके। यही वजह है कि बजट बनाने की पूरी प्रक्रिया को समय से पहले शुरू किया जा रहा है।

 
 
 

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