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तत्काल प्रभाव से युद्ध विराम लागू करें अर्मेनिया और अजरबैजान : गुटेरेस

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अर्मेनिया और अजरबैजान से नागोरनो-काराबख क्षेत्र में तत्काल प्रभाव से युद्ध विराम लागू करने की अपील की है और साथ ही कहा है कि वह जल्द ही दोनों देशों के नेताओं से संपर्क कर इस पर चर्चा करेंगे। श्री गुटेरेस ने रविवार को एक वक्तव्य जारी कर यह बात कही। वक्तव्य के मुताबिक, “ संयुक्त राष्ट्र महासचिव नागोरनो-काराबख क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए बिना किसी देरी के तत्काल प्रभाव से युद्ध विराम लागू करने तथा सार्थक बातचीत शुरू करने की अपील करते हैं। वह जल्द ही इस विषय पर अजरबैजान के राष्ट्रपति और अर्मेनिया के प्रधानमंत्री से बात करेंगे।”

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि नागोरनो-काराबख क्षेत्र में अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच शुरू हुए सैन्य संघर्ष को लेकर वह बेहद चिंतित हैं और सैन्य ताकत के इस्तेमाल की कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने इस संघर्ष में आम नागरिकों के मारे जाने को लेकर दुख भी व्यक्त किया है। इससे पहले अर्मेनिया और अजरबैजान की सेना के बीच रविवार को नागोरनो-काराबख क्षेत्र में एक इलाके पर कब्जे को लेकर हिंसक संघर्ष शुरू हो गया। अर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि नागोरनो-काराबख क्षेत्र में अजरबैजान की सेना के साथ हुए संघर्ष में उसके 16 सैनिक मारे गए हैं जबकि 100 से अधिक घायल हुए हैं।

अर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशनयिन ने ट्वीट कर जानकारी दी कि अजरबैजान ने अर्तसख पर मिसाइल से हमला किया है जिससे रिहायशी इलाकों को नुकसान पहुंचा है। श्री पशनयिन के मुताबिक अर्मेनिया ने जवाबी कारवाई करते हुए अजरबैजान के दो हेलीकॉप्टर, तीन यूएवी और दो टैंकों को मार गिराया है। इसके बाद अर्मेनियाई प्रधानमंत्री ने देश में मार्शल-लॉ लागू कर दिया है। अर्मेनिया और अजरबैजान दोनों ही देश पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा थे। लेकिन सोवियत संघ के टूटने के बाद दोनों देश स्वतंत्र हो गए। अलग होने के बाद दोनों देशों के बीच नागोरनो-काराबख इलाके को लेकर विवाद हो गया। दोनों देश इस पर अपना अधिकार जताते हैं। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत इस 4400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अजरबैजान का घोषित किया जा चुका है, लेकिन यहां अर्मेनियाई मूल के लोगों की जनसंख्या अधिक है। इसके कारण दोनों देशों के बीच 1991 से ही संघर्ष चल रहा है। वर्ष 1994 में रूस की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच संघर्ष-विराम हो चुका था, लेकिन तभी से दोनों देशों के बीच छिटपुट लड़ाई चलती आ रही है। दोनों देशों के बीच तभी से ‘लाइन ऑफ कंटेक्ट’ है। लेकिन इस वर्ष जुलाई के महीने से हालात खराब हो गए हैं। इस इलाके को अर्तसख के नाम से भी जाना जाता है।

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