दिल्लीराजनीति

BJP नेता ने कहा- सीलिंग पर सियासत नहीं करें, हल निकालें केजरीवाल

दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। 22 मार्च को बजट पेश किया जाएगा। वहीं, सीलिंग और मुख्यमंत्री आवास में मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से मारपीट के मामले को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे के ऊपर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। इन सभी मुद्दों पर हमारे मुख्य संवाददाता संतोष कुमार सिंह ने दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता से बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश :BJP नेता ने कहा- सीलिंग पर सियासत नहीं करें, हल निकालें केजरीवाल

1. दिल्ली का बजट पेश होने वाला है इससे आपको क्या उम्मीदें हैं?

– कोई उम्मीद नहीं रह गई है। इसके कारण भी हैं। अरविंद केजरीवाल सरकार ने अब तक जो भी बजट पेश किया है उसमें घोषणाएं तो बहुत हुईं, लेकिन उन पर अमल नहीं हुआ है। पिछली बार सरकार ने आउट कम बजट का शिगूफा छोड़ा था जो फेल रहा है। कहीं कोई काम नहीं हुआ।

2. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, क्या धन की कमी है?

– बिल्कुल नहीं। धन की कोई कमी नहीं है। धन का आवंटन तो हुआ है लेकिन उसे खर्च नहीं किया गया। दरअसल, सरकार का ध्यान काम पर नहीं सियासत पर है। इसका सीधा असर दिल्ली के विकास पर पड़ रहा है। विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं। लोगों की समस्याएं हल नहीं हो रही है।

3. लेकिन उपराज्यपाल के अभिभाषण में तो सरकार ने तमाम उपलब्धियां गिनाई हैं?

– सरकार के पास गिनाने के लिए कुछ भी नया नहीं है। एक ही बात कितनी बार बताएगी सरकार। यही कारण है उपराज्यपाल के अभिभाषण पर दिल्ली में कोई चर्चा नहीं है। बजट सत्र में उपराज्यपाल का अभिभाषण हो और लोगों में उत्साह नहीं जगे तो स्पष्ट है कि सरकार उनकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है।

 4. दिल्लीवासियों को सीलिंग से कब राहत मिलेगी, अब तो विधानसभा में इसे लेकर प्रस्ताव भी पारित हो गया है?

– केजरीवाल सरकार सीलिंग पर सियासत करने के बजाय इसका समाधान निकाले। वह 351 सड़कों को व्यवसायिक एवं भू-मिश्रित उपयोग वाली सड़कें घोषित करने के मामले को उलझाए हुए हैं। सरकार के रवैये की वजह से उपराज्यपाल को इसकी फाइल दिल्ली विकास प्राधिकरण के पास भेजनी पड़ी है। लोगों को राहत दिलाने के लिए सरकार न तो सुप्रीम कोर्ट में सही तरह से अपना पक्ष रख सकी है और न मॉनिटरिंग कमेटी के पास गई है। इससे लोगों की परेशानी बढ़ रह हैं।

5. केंद्र व नगर निगमों में आपकी सत्ता है फिर सीलिंग की नौबत क्यों आई?

– संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की गलतियों का नतीजा दिल्ली को भुगतना पड़ रहा है। यूपीए सरकार ने मास्टर प्लान 2021 में कई खामियां छोड़ दी हैं। रिहायशी इलाके में व्यावसायिक गतिविधियां चलाने वालों के लिए कन्वर्जन चार्ज प्रति वर्ग मीटर 89 हजार रुपये कर दिया गया। इसकी कोई अवधि भी तय नहीं की गई, प्रत्येक वर्ष भारी भरकम राशि वसूली जा रही है। वहीं, समय पर कन्वर्जन चार्ज जमा नहीं कराने पर जुर्माना की राशि दस गुणा बढ़ा दी गई है। इससे व्यापारियों की परेशानी बढ़ गई। उन्हें राहत देने के लिए केंद्र सरकार मास्टर प्लान में संशोधन कर रही है। उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट से जल्द राहत मिलेगी।

6. सदन में भाजपा विधायकों के खिलाफ बार-बार मार्शल का प्रयोग क्यों करना पड़ता है?

– सरकार विधानसभा की सदस्यता खो चुके कैलाश गहलोत को मंत्री बनाकर सदन में बैठाए हुए है जिसका विरोध करने पर योग्य सदस्यों को बाहर निकाला जा रहा है। यह सदन की अवमानना है, इसलिए भाजपा अपना विरोध जारी रखेगी। राष्ट्रपति, गृहमंत्री व उपराज्यपाल से शिकायत करने के साथ ही अदालत का भी दरवाजा खटखटाया जाएगा। सरकार सदन में विपक्ष की आवाज दबाना चाहती है, इसलिए बार-बार भाजपा विधायको को मार्शलों के जरिए बहार निकाला जा रहा है।

7. अधिकारियों व सरकार के बीच टकराव कैसे खत्म होगा?

– आरोप है कि मुख्यमंत्री आवास पर आम आदमी पार्टी के विधायकों ने मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट की। इससे विवाद शुरू हुआ है। सरकार ने विवाद शुरू किया है। इसलिए उसे आगे बढ़कर इसे हल भी करना चाहिए। यदि मुख्यमंत्री अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांग सकते हैं तो फिर मुख्य सचिव से अपनी गलती के लिए क्यों नहीं खेद जताते हैं। अधिकारी के साथ तो उनकी कोई राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता भी नहीं है।

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