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एनबीआरआई में ‘उद्योगों के लिए हरित पट्टिका का विकास’  पर राष्ट्रीय स्तर हरित कौशल विकास कार्यक्रम का समापन

लखनऊ: पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत हरित कौशल विकास कार्यक्रम के तहत ‘उद्योगों के लिये हरित पट्टिका का विकास’ विषय पर राष्ट्रीय वनस्पति अनुसन्धान संस्थान, लखनऊ द्वारा आयोजित एक माह की अवधि के ‘प्रथम सर्टीफिकेट कोर्स’ का समापन हुआ।

यह कोर्स पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, एवं राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी, भारत सरकार के द्वारा शिक्षित युवाओं में कौशल विकास एवं रोजगार/स्वरोजगार उत्पन्न करने की दिशा में उठाया गया एक कदम है।  इस कार्यक्रम का समापन समारोह संस्थान के सभागार में आयोजित हुआ जिसमें मुकेश कुमार मित्तल, उपाध्यक्ष (संरक्षा एवं पर्यावरण) हिंडाल्को इण्डस्ट्रीज लिमिटेड, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए।

समारोह के मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए संस्थान के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ विवेक पाण्डेय ने कौशल विकास कार्यक्रम के मुख्य लक्ष्यों की जानकारी दी। कार्यक्रम के संयोजक डॉ पंकज कुमार श्रीवास्तव ने इस कार्यक्रम की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होने इस कोर्स के विषय में भी जानकारी दी जिसमें पुस्तकीय एवं प्रयोगात्मक ज्ञान तथा प्रशिक्षण के साथ-साथ विभिन्न साइटों का भ्रमण जिसने की जगदीशपुर स्थित इण्डो-गल्फ फर्टिलाइजर भी शामिल है, की जानकारी दी। डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि राष्ट्रीय वनस्पति अनुसन्धान संस्थान के एनविस केंद्र द्वारा इस कोर्स का क्रियान्वयन किया गया था।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि  मुकेश कुमार मित्तल ने इस कोर्स को सफलतापूर्वक आयोजित किए जाने के लिए सीएसआईआर-एनबीआरआई एवं एनबीआरआई-एनविस केंद्र के प्रयासों की सराहना की। उन्होने आम जनता में हरित पट्टिका विकास के प्रति जागरूकता उतपन्न करने के प्रयासों की सराहना की। उन्होने सभी प्रतिभागियों को उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं।  इस दौरान सलाहकार समिति, पाठ्यक्रम अध्यापकों एवं सहभागियों के मध्य पारिस्परिक विचारों का आदान प्रदान भी हुआ।  इसके पूर्व संस्थान के निदेशक प्रो एसके बारिक ने पाठ्यक्रम की संभावित आकांक्षाओं के बारे में चर्चा की जैसा कि पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अपेक्षित है। प्रोफेसर बारिक ने कार्यक्रम की राज्य स्तरीय चयन-सह-सलाहकार समिति के बारे में भी जानकारी दी जिसने पाठ्यक्रम के लिए पूरे देश से 20 प्रतिभागियों की जांच की और चयन किया है। अंत में डॉ बबिता कुमारी, तकनीकी अधिकारी द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया।

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