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भारत में डेयरी उद्योग और आत्मनिर्भर भारत अभियान

कन्हैया पांडे

नई दिल्ली: कहते है भारत की आत्मा गावो में बसती है,और उन्हीं गावो में रहते है किसान।यही किसान हमारा अन्नदाता होता है और यही पशुपालक भी।भारत में व्यासायिक रूप से गाय और भैंस का मुख्यत पालन किया जाता है। आज विश्व में दुग्ध उत्पादन में पहले पायदान पर काबिज है। डेयरी उद्योग के भारत में विकसित होने की सर्वधिक संभावनाएं है। डेयरी उद्योग समय के साथ बढ़ता जा रहा है,पूरे विश्व में पाई जाने वाली भैंसो का 50% भारत में पाया जाता है। दुनिया के कुल पशु आबादी का 20% भारत में पाला जाता है।

आजादी के समय दुग्ध उत्पादन में देश की स्थिति अच्छी नहीं थी, हमारे पास अच्छी नस्ल के पशु नहीं थे लेकिन 70 के दशक में भारत में दुग्ध उत्पादन में क्रांति लाया गया। इसका श्रेय वर्गीज कुरियन को जाता है। कुरियन साहब ने गुजरात के आनंद जिले में अमूल की स्थापना की और उन्होंने दुग्ध सहकारी समितियों की स्थापना करके किसानों को अच्छे नस्ल के पशु उपलब्ध करवाएं और उनके दुग्ध को समितियों के माध्यम से खरीदा भी।एक बेहतर विपणन प्राणी के द्वारा गुजरात के दूध को पूरे देश में पहुंचाने का काम किया।

इसी दुग्ध क्रांति को श्वेत क्रांति या ऑपरेशन फ्लड के नाम से जाना जाता है। भारत पिछले वित्तीय वर्षों में 150 मिलियन से अधिक दूध का वार्षिक उत्पादन कर रहा है भारत में 1993 से लेकर 2018 तक 4% वार्षिक वृद्धि दर से डेयरी उद्योग का विकास हुआ है जो विश्व के डेरी ग्रोथ का 3 गुना है।

भारत में डेयरी उत्पादों के उत्पादन में सबसे अग्रणी राज्यों में उत्तर प्रदेश पंजाब हरियाणा महाराष्ट्र और राजस्थान आते हैं। भारत के कुल जीडीपी में डेयरी उद्योग का योगदान 5% से भी अधिक है विश्व के कुल उत्पादन का लगभग 19% दुग्ध भारत में उत्पादन किया जाता है।

वर्तमान समय में महामंदी के इस दौर में भारत में जब प्रवासी मजदूर अपने गांव की ओर तेजी से लौट रहे हैं तो उनके रोजगार की चिंता राज्य सरकारों को सताने लगी ।ऐसे में डेयरी उद्योग एक ऐसा क्षेत्र उभर कर सामने आया है जो ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वरोजगार आसानी से दे सकता है।

सरकार ने इस दिशा में सोचते हुए आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की है जिसमें 20 लाख करोड़ के विशाल आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई इस घोषणा के तहत कृषि क्षेत्र और किसानों पर विशेष ध्यान दिया गया उन्हें उनके उत्पादों का उचित दाम मिल सके इसके लिए विभिन्न प्रकार के उपाय सुझाए गए इसी प्रक्रिया में पशुपालकों और डेयरी उद्योग को और विकसित करने के लिए 15000 करोड रुपए का आवंटन विशेष रूप से किया गया है।

सरकार में 20 लाख करोड़ के महा आर्थिक पैकेज में से 15000 करोड रुपए को पशुपालन को ध्यान में रखते हुए पशुपालन आधारभूत संरचना विकास निधि (एनिमल हसबेंडरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड) के रूप में आवंटित किया है यह फंड पशुपालन के क्षेत्र में निजी उद्यमियों को आकर्षित करेगा और नए किसान जो पशुपालन करना चाहते हैं और जिनका उद्देश्य व्यवसायिक होगा तो सरकार उन्हें आर्थिक मदद देगी।

जिससे वह पशुपालन के लिए गाय अथवा भैंस खरीद पाएंगे और अपने आसपास गौशाला या दुग्ध साला का निर्माण कर सकेंगे । सरकार ने किसानों से सरकारी समितियों के माध्यम से उनके दुग्ध उत्पादों को खरीदने का भी निर्णय लिया है ऐसे में इस प्रक्रिया से या यूं कहें आत्मनिर्भर भारत अभियान के इस प्रयास से देश में 2लाख किसान सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे और उन्हें स्वरोजगार की प्रेरणा मिलेगी।

जिससे भारत में दुग्ध उत्पादन की गति और तेजी से बढ़ेगी और भारत विश्व में दुग्ध उत्पादन के मामले में पहले स्थान पर लंबे समय के लिए काबिज रह सकेगा।

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