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बोन बायोलॉजी एवं स्केलेटल टार्गेट और बायोलॉजिक्स ऑफ ड्रग डिलीवरी सिस्टम पर हुई चर्चा

डॉ. मोहन आर. वानी

लखनऊ: सीडीआरआई में आयोजित  सीटीडीडीआर-2019 का समापन शनिवार को औषधि अनुसंधान के लिए नए शोध, नए निष्कर्ष, नए रास्ते एवं नई आशाओं के साथ सीटीडीडीआर-2022 में मिलने के वादे के साथ हुआ. अंतिम दिन नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस, पुणे के डॉ. मोहन आर. वानी ने अपने हालिया शोध के बारे में चर्चा की और कहा कि मीजेनकायमलस्टेम सेल (एमएससीज) थेरेपी और रिजेनरेटिव (पुनर्योजी) चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये स्टेम सेल, जानवरों और मनुष्यों दोनों के विभिन्न डिजेनरेटिव (अपक्षयी) रोगों में क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत करते हैं.

सीडीआरआई में आयोजित  सीटीडीडीआर-2019 का हुआ समापन 

स्टेम सेल के रिजेनरेटिवऔर माइग्रेशन (प्रवासन) क्षमता को बढ़ाने में विभिन्न साइटोकिन्स और वृद्धि कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इंटरल्यूकिन-3 (IL-3) एमएससीजके इन विट्रो माइग्रेशन, गतिशीलता और घाव भरने की क्षमताओं में काफी वृद्धि करता है.  हमने पहली बार यह प्रदर्शित किया है कि IL-3, मानव मीजेनकायमलस्टेम सेल अस्थियों की रिजेनरेटिव और माइग्रेशन (प्रवासन) क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसका उपयोग रिजेनरेटिव सेल थेरेपी (पुनर्योजी कोशिका चिकित्सा) में मीजेनकायमलस्टेम सेल की प्रभावकारिता में सुधार करने में किया जा सकता है.

वही नई दिल्ली के जामिया हमदर्द से डॉ. दिव्या वोहरा ने एंटीएपिलेप्टिक दवाओं और अस्थियों के बीच मध्यस्तता के माध्यम से चिकित्सीय रणनीतियों के बारे में और सीडीआरआई लखनऊ की डॉ. दिव्या सिंह ने ऑस्टियोपोरोसिस के संबंध में टी-सेल्स और साइटोकाइन्स की भूमिका पर चर्चा की. ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी, कनाडाकी डॉ प्रीति पंवार ने जोड़ों के दर्द और गठिया की विकरालता पर अपने नवीनतम शोध को साझा किया।

‘पेप्टाइड ड्रग्स’ नई दवाओं के विकास के लिए एक अभिनव रणनीति : डॉ वेद

इंटार्शिया थैरेप्यूटिक्स इंक, यूएसए के डॉ. वेद श्रीवास्तव ने पेप्टाइड थैरेप्यूटिक्स के बारे में कहा कि हाल ही में पेप्टाइड की अस्थिरता और रोगियों के अनुकूल वितरण की चुनौतियों के बावजूद बाजार में पेप्टाइड दवाओं की संख्या में भारी इज़ाफ़ा हुआ है. उन्होने पेप्टाइड चिकित्सा के क्षेत्र में वर्तमान स्थिति और भविष्य की दिशाएँ, टाइप-2 डायबिटीज़के प्रथम श्रेणी के उपचार हेतु रोगी-केंद्रित केस-स्टडी और मेडिसी ड्रग डिलेवरी सिस्टमTM­नामकआधुनिक तकनीक के माध्यम से जीएलपी-1एगोनिस्ट की निरंतर डिलीवरी पर चर्चा कर पेप्टाइड थैरेप्यूटिक्स के इस अत्याधुनिक ड्रग डिलीवरी सिस्टमके विषय में अवगत कराया. ड्रग डिलीवरी सिस्टम के इस सत्र में ज़ुमुटर बायोलॉजिक्स इंक, भारतके डॉ. सुनीत मैती ने बायोसिमिलरसे नोवेल बायोलॉजिक्सके विषय में बताया. ओस्लो यूनिवर्सिटी नॉर्वे के प्रो. गैरेथ ग्रिफिथ्स ने तपेदिक (टीबी) के खिलाफ नैनोपार्टिकल ड्रग थेरेपी के विषय में अपने हालिया अनुसंधान एवं विकास के बारे में जानकारी दी. जोहान्स गुटेनबर्ग-यूनिवर्सिटी जर्मनी के डॉ माथियास बार्ज़ ने पॉलीपेप्ट(ओ)आइड्स: पॉलिमर से थेरेपी को साझा किया. समापन सत्र से पहले युवा शोधकर्ताओं के लिए फ्लैश-टॉक और पोस्टर सत्र का आयोजन किया गया. सीटीडीडीआर-2019, दवा की खोज और अनुसंधान में हाल के रुझानों के बारे में जानकारी से भरा रहा.

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