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जैव विविधता की चोरी रोकने और डेटा को साझा करने के लिए तंत्र के विकास पर जोर

लखनऊ: सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप), लखनऊ में ‘इंडियन बायोरिसोर्सेज इंफॉर्मेशन नेटवर्क डेटाबेस की जैव विविधता के संरक्षण में उपयोगता’ विषय पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला शुरू हुई. इस दो दिवसीय कार्यशाला में देश भर से लगभग 55 शोधार्थियों ने भाग लिया. यह कार्यशाला सीमैप, लखनऊ एवं भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईआईआरएस–इसरो) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की जा रही है. कार्यशाला का उद्घाटन भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान केन्‍द्र (आईआईटीआर), लखनऊ के निदेशक डॉ. आलोक धवन ने किया.

सीमैप में इंडियन बायोरिसोर्सेज इंफॉर्मेशन नेटवर्क डेटाबेस की जैव विविधता के संरक्षण में उपयोगताविषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला शुरू

अपने स्वागत भाषण में डॉ. अब्दुल समद ने कहा कि देश के कई संस्थान भारत के जैव स्रोतों के दस्तावेजीकरण के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने इंडियन बायोरिसोर्सेज इंफॉर्मेशन नेटवर्क (आईबिन) के माध्यम से जैविक संसाधनों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए एक एकल मंच बनाने के प्रयासों के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईआईआरएस–इसरो), एवं कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय (यूएस, बैंगलोर) की सराहना की. इस अवसर पर, आईआईआरएस, देहरादून के डॉ. समीर सरन, जो कि आईबिन (IBIN) के राष्ट्रीय समन्वयक भी हैं, के द्वारा आईबिन नेटवर्क की उत्पत्ति के बारे में जानकारी दी गयी. इस डेटाबेस में दी गयी जानकारी इसरो द्वारा किये गये विभिन्न जैव विविध परियोजनाओं से प्राप्त हुई है. उन्होंने प्रयोगशाला में मॉडलिंग जैसी विभिन्न विशेषताओं के बारे में भी बताया जो आईबिन डेटाबेस में उपलब्ध कराई गई हैं.

डॉ. आलोक धवन ने एक डी-सेंट्रलाइज्ड बायोरिसोर्स पोर्टल प्रदान करने के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने यह भी कहा कि इस डेटाबेस में डाले जा रहे डेटा की वैधता और प्रमाणिकता को भी ध्यान में रखा जाये. उन्होंने जैव विविधता की चोरी रोकने और वास्तविक उपयोगकर्ताओं के बीच डेटा को साझा करने के लिए तंत्र के विकास पर भी जोर दिया. वर्कशाप के दौरान सीमैप के विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा व्याख्यान दिया गया. इनमे डॉ. आलोक कालरा (पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और कार्यवाहक निदेशक, सीमैप), डॉ. समीर सरन (वैज्ञानिक ‘एसएफ’ और प्रमुख भू-विज्ञान, आईआईआरएस–इसरो, देहरादून), प्रो.केएन गणेशैय्या (परियोजना सलाहकार, एसईसी, कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बैंगलोर), डॉ.एमपी दारोकर (वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सीमैप) शामिल थे. आईआईआरएस–इसरो, देहरादून की टीम द्वारा आईबिन पोर्टल और मोबाइल अनुप्रयोगों का हैंड्स ऑन प्रदर्शन भी दिया गया.

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