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लोगों के मन में निराशा की भावना बढ़ने का प्रमुख कारण है अत्यधिक चिन्ता : ज्योति त्रिपाठी

लॉकडाउन: सामाजिक दूरी में निराशावादी होने के बजाय रखें आशावादी भावना, डिप्रेशन से मिलेगी निजात

उमेश यादव: कोरोना वायरस महामारी (कोविड19) के कहर से पूरी दुनिया में कोहराम मचा हुआ है। इससे बचने के लिये दुनिया भर के लोग महीनों से घरों में लॉकडाउन (सामाजिक अंतराल) का जीवन बिता रहे है। कोरोना की चिंता तमाम लोगों में मानसिक अवसाद बढ़ा रही है।ऐसे समय में अवसाद से बचना बहुत जरूरी है। हम सकारात्मक सोच रखकर अवसाद से बच सकते हैं।

मनोवैज्ञानिक ज्योति त्रिपाठी

लखनऊ की वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक ज्योति त्रिपाठी बताती है कि कोरोना वायरस (कोविड-19) जिसने महामारी का रूप ले लिया है, न केवल हमारी दैनिक दिनचर्या बल्कि हमारे मनोवैज्ञानिक, व्यवहारिक और भावनात्मक डोमेन में भी व्यवधान उत्पन्न कर रही है। कई लोग इस स्थिति की तुलना “दुनिया के अंत” से कर रहे हैं, अस्पताल के डॉक्टर, नर्स, कर्मचारी और सुरक्षा में लगे हुए पुलिसकर्मी दिन-रात इस महामारी से लड़ रहे हैं। इस महामारी ने न केवल हमें बीमारी के खतरे के साथ घेर लिया है, बल्कि हम जो भी समय बिता रहे हैं उसका अधिकांश हिस्सा हम महामारी के बारे में बात कर रहे है। जो अंततः हमें खुद सोचने पर मजबूर कर रहा है।

उन्होने आगे बताया कि अत्यधिक चिन्तन करने से हमारे मन में चिंता और निराशा की भावना पैदा हो रही है, उसके साथ ही “आम जीवन” में वापसी का डर भी बढ़ता जा रहा है, कई लोग लॉकडाउन और सामाजिक दूरी के कारण अवसाद से पीड़ित हो रहे हैं। हमे चिंतित और निराशावादी होने के बजाय आशा की भावना रखनी चाहिए कि जल्द ही हम इस स्थिति से बाहर निकलेंगे और अपने साधारण जीवन के साथ शुरुआत करेंगे। कुछ चीजें हैं जो हमारा ध्यान आकर्षित कर सकती हैं। कृतज्ञता उनमें से सबसे बड़ी है, हमें आभारी होना चाहिए और हमारे पास जो कुछ भी है, उसके लिए हमारे पास हमारा परिवार है। उन क्षेत्रों में रचनात्मक खोज करने का समय जिसे हम “समय की अवधि की कमी” के कारण कभी नहीं कर पाए। पेंटिंग, संगीत और पठन-पाठन पर समय देकर अपनी रुचिओ को पूरा कर सकते है। परिवार व बच्चों के साथ समय बिताकर अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा दे सकते हैं। इस समय हमें अफवाहों से दूर रहना है और उन सूचनाओं पर ध्यान केंद्रित करना है जो विश्वसनीय और पुख्ता जानकारी प्रदान करती है।

मनोवैज्ञानिक ज्योति त्रिपाठी बताती है कि ऐसी कई गतिविधियाँ हैं जिनसे हम अपनी शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को सही दिशा में प्रवाहित कर सकते हैं और स्वयं को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखते हैं।

  • अपने परिवार के साथ समय बिताएं, अपने दिन और अपने भविष्य के बारे में चर्चा करें; कुछ गतिविधि एक साथ करें (साथ में भोजन करना,अपने मन की बातें कहे और परिजनों की बातों को सुने और समझे, इंडोर गेम्स खेले, बेकिंग करे ,पेंटिंग करे और साथ में टीवी देख सकते हैं)।
  • आपने अपने बच्चो के साथ इतना समय कभी भी एक बार नहीं बिताया होगा। इस समय का अच्छी तरह से इंजॉय करें और अपने बच्चो को समझे, उनकी प्रतिभाओं को पहचाने। बच्चो के साथ मिलकर क्रिएटिव वर्क करे, (आर्ट, क्राफ्ट, नॉन फायर कुकिंग), व्यायाम, डांस आदि करे, एजुकेशनल एप्स की मदद से पढ़ाई को बेहतर बनाने में उनकी सहायता करें।
  • प्रकृति के साथ समय बिताएं, छत व बालकनी पर बैठे,घर आँगन में घूमें न कि घर से बाहर।
  • एक उचित दिनचर्या बनाए रखने की कोशिश करें, उदाहरण के लिए यदि आप 7 बजे जाग रहे थे तो उसी समय जागने की कोशिश करें।
  • ध्यान या गहरी साँस लेने के व्यायाम, इसमें लंबी गहरी साँसें लेना, भ्रामरी, नाड़ीशोधन और अनुलोम- विलोम प्राणायाम शामिल है। कुछ सहायक अभ्यास दृश्य कल्पना, प्राणायाम और गहरी साँस लेना हैं।
  • आर्ट और क्राफ्ट, आप सरल आरेखण के साथ शुरू कर सकते हैं और अपने हाथों से बची हुई सामग्री द्वारा कुछ अच्छा बनाने की कोशिश कर सकते हैं। अधिकांश लोग ऐसा करने के बाद शांत महसूस करते हैं और अपनी शिल्प गतिविधि के दौरान एक सकारात्मक मनोदशा को बढ़ावा देते हैं।
  • अपने स्वयं के व्यक्तिगत अनुभवों के बारे में लिखना हल्का महसूस करने में मदद कर सकता है, एक के मूड में सुधार कर सकता है और खुशी बढ़ा सकता है; इसके अलावा, आप कागज पर भी अपनी विचार प्रक्रियाओं को व्यक्त कर सकते हैं।
  • बोर्ड गेम खेलना या पहेली को हल करना संज्ञानात्मक या सोचने की क्षमता को तेज करता है। अपने दिमाग और खुद को व्यस्त रखने की कोशिश करें।
  • आप विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को बनाने में अपना हाथ आजमा सकते हैं, उन सभी व्यंजनों को जिन्हें आप बाहर खाने का आनंद लेते हैं, आप अपने घर पर भी आज़मा सकते हैं।
  • स्वस्थ का ध्यान रखे। इसके लिए आप हेल्दी भोजन का सेवन करें और खूब पानी पिएं। इसके अलावा व्यायाम करें और पूरी नींद लें। खासकर धूम्रपान से दूरी बनाकर रखें।

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