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रिले रेस के उदाहरण से समझ सकते है अणु के औषधि बनने की प्रकिया: डॉ. संजीव यादव

लखनऊ: इस वर्ष की थीम “आमजन के लिए विज्ञान और विज्ञान के लिए आमजन”पर आधारितराष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह के सीडीआरआई में हुए आयोजन में दवाओं की खोज और विकास के विज्ञान को छात्रों और अध्यापकों के साथ साझा किया गया ताकि उनके बीच से कुछ “विज्ञान के लिए लोग (पीपुल फॉर साइंस)” तैयार किये जा सके. इसके लिए उच्च प्राथमिक विद्यालय, चापर हरदौन, कोरांव, प्रयागराज, केंद्रीय विद्यालय, गाजीपुर वाराणसी और शंभूनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, झलवा, प्रयागराज, यूपी के विभिन्न स्तरों के छात्रों के लिए बहुत ही रोचक संवादात्मक सत्र आयोजित किए गए.

सीडीआरआई में हुआ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह

इस अवसर पर डॉ. संजीव यादव ने “एक औषधि की अणु से लेकर औषधि बनने की यात्रा” विषय पर छात्रों एवं अध्यापकों से संवाद किया. उन्होंने रिले रेस का उदाहरण लेते हुए बताया कि कैसे एक अणु एक औषधि बन पाता है? कैसे रसायन विज्ञानी, जीव विज्ञानी, फार्मास्यूटिकल वैज्ञानिक, चिकित्सक और फार्मा कंपनी की टीम बनती है जो वांछित औषधि के लक्ष्य रूपी बैटन को लेकर एक रिले रेस पूरी करती है, तब जा कर वो लक्षित औषधि बाजार तक आ पाती है. उन्होंने जिज्ञासु छात्रों के कई प्रश्नों के उत्तर दिये और बताया कि कैसे आप लोग औषधि अनुसंधान की इस यात्रा या रिले रेस में शामिल हो सकते हैं.बाद में, छात्रों और शिक्षकों ने विभिन्न प्रयोगशालाओं का दौरा किया, जहां उन्होंने औषधि अनुसंधान में शामिल विभिन्न चरणों का नजदीक से जाना और स्वयं अनुभव किया और वैज्ञानिकों और अन्य शोधकर्ताओं के साथ बातचीतकर अपनी जिज्ञासाएँ शांत की । बाजार तक एक दवा पहुँचाने के लिए शोधकर्ताओं, वैज्ञानिक द्वारा किए गए प्रयासों को जानने के बाद छात्र एवं अध्यापक अभिभूत थे। अपनी चर्चाओं के दौरान वैज्ञानिकों ने छात्रों को विज्ञान को एक कैरियर के रूप में लेने के लिएप्रेरित किया जिससे और भी पीपुल फॉर साइंस आने वाले समय में तैयार हो सकें।

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