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कोविड-19 और वैश्विक कामकाज पर आईएलओ की रिपोर्ट जारी

विवेक ओझा

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की पहल, कैसे पुख्ता करे विश्व कार्यस्थल व उसकी स्वास्थ्य सुरक्षा

विश्व कार्यस्थल स्वास्थ्य व सुरक्षा दिवस (28 अप्रैल) और अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन: आज कोरोनावायरस की महामारी के समय में वैश्विक स्तर पर कामगारों, श्रमिकों की गतिविधियां ठप्प हैं। अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने आज इस बात पर भी चिंता जाहिर की है कि श्रमिकों, मजदूरों के काम को संक्रमण फैलने से रोकने के साथ पुनःकिस तरह शुरू किया जाए। गौरतलब है कि वर्ष 2003 में अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने इस वैश्विक दिवस को मनाना शुरू किया था।

नई दिल्ली: सरकारों, नियोक्ताओं (एंप्लॉयर) और कामगारों के साथ-साथ पूरा समाज जो आज वैश्विक स्तर पर कोविड 19 की महामारी से जूझ रहा है, ऐसे में स्थिति की गंभीरता को समझते हुए अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य (28 अप्रैल) को विश्व दिवस के अवसर पर इस महामारी और कार्यस्थलों पर संक्रामक बीमारियों के फैलने से जुड़े मुद्दों को संबोधित कर रहा है। कार्यस्थल में सुरक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है और जो लोग कार्यस्थल पर काम से संबंधित चोट या बीमारी से मृत्यु को प्राप्त हो गए हैं, यह दिवस उन्हें सम्मानित करता है।

विश्व कार्यस्थल स्वास्थ्य व सुरक्षा दिवस 2020 का इस वर्ष का थीम है -स्टॉप दि पैंडिमिक: सेफ्टी एंड हेल्थ एट वर्क कैन सेव लाइव्स।

आज कोरोनावायरस की महामारी के समय में वैश्विक स्तर पर कामगारों, श्रमिकों की गतिविधियां ठप्प हैं। अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने आज इस बात पर भी चिंता जाहिर की है कि श्रमिकों, मजदूरों के काम को संक्रमण फैलने से रोकने के साथ पुनः किस रूप में शुरू किय जाए। गौरतलब है कि वर्ष 2003 में अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने इस वैश्विक दिवस को मनाना शुरू किया था।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने कुछ समय पूर्व ही श्रमिकों के कामकाज, उनकी स्थिति पर इस आपदा के प्रभाव से संबंधित अपनी रिपोर्ट साझा की थी। ‘आईएलओ निगरानी-दूसरा संस्करण: कोविड-19 और वैश्विक कामकाज’ शीर्षक से पेश की गई अपनी रिपोर्ट में आईएलओ का कहना है कि कोरोना वायरस संकट दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे भयानक संकट के रूप में हमारे सामने है। संयुक्त राष्ट्र के श्रम निकाय ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस संकट के कारण भारत में अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लगभग 40 करोड़ लोग गरीबी में फंस सकते हैं और अनुमान है कि इस साल दुनिया भर में 19.5 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरी छूट सकती है।

आईएलओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ‘भारत, नाइजीरिया और ब्राजील में लॉकडाउन और अन्य नियंत्रण उपायों से बड़ी संख्या में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के श्रमिक प्रभावित हुए हैं।

आईएलओ ने यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफर्ड के सूचकांक का इस्तेमाल करके एक चार्ट बनाया है। इसमें दिखाया गया है कि भारत ने अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान और ब्राजील एवं चीन जैसे अन्य देशों की तुलना में ज्यादा असंगठित कामगारों को लॉकडाउन में जकड़ा है।

आईएलओ ने कहा है कि लॉकडाउन और उससे संबंधित कारोबारी अवरोधों का कामगारों पर अचानक भारी असर पड़ा है। संगठन का अनुमान है कि इस महामारी से दुनिया भर में 19.5 करोड़ पूर्णकालिक नौकरियां जाने के आसार हैं। इसने कहा कि आवास एवं खाद्य सेवा, विनिर्माण, रियल एस्टेट, थोक एवं खुदरा कारोबार, वाहन मरम्मत जैसे क्षेत्रों को सबसे अधिक जोखिम में माना जा रहा है।

आईएलओ के मुताबिक दुनिया भर में करीब दो अरब लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। इन लोगों में से अधिकतर उभरते और विकासशील देशों में हैं। इस अनुमान के मुताबिक भारत का दुनिया भर के असंगठित कामगारों में करीब 20 फीसदी हिस्सा है। नियमित रूप से रोजगार सर्वेक्षण करने वाली निजी एजेंसी सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी ने कहा कि 5 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में बेरोजगारी की दर 23.4 फीसदी पर पहुंच गई।
(लेखक अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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