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स्वयं सहायता समूहों में कृषि विविधिकरण के साथ क्लस्टर के रूप में हो औषधीय एवं सगंध पौधे की खेती : डॉ. मंगला रॉय

लखनऊ: विगत 15 वर्षों की भांति इस वर्ष भी सीएसआईआर – केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप) द्वारा लखनऊ स्थित कैम्पस में गुरुवार को आयोजित किसान मेले में देश के विभिन्न राज्यों से आये लगभग 7000 किसानों का जमावड़ा रहा. किसानों ने मेले में भाग लेकर औषधीय व सगंध पौधों की लाभकारी खेती के बारे में जानकारी ली और अपने अनुभव भी साझा किये. उन्हें वैज्ञानिकों की टीम ने किसानों को उन्नत खेती, क़िस्मों तथा प्रसंस्करण व विपणन की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई.

सीमैप किसान मेला 2019: किसानों को मिली उन्नत खेती, क़िस्मों तथा प्रसंस्करण व विपणन की विस्तृत जानकारी 

किसान मेले के मुख्य समारोह में मुख्य अतिथि डॉ. मंगला रॉय (पूर्व महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली) ने अपने सम्बोधन में कहा कि उच्च गुणवत्ता युक्त बीज, सकर तथा पौध सामग्री निरंतर किसानों को उपलब्ध करायी जानी चाहिए ताकि उनकी आय मे बढ़ोत्तरी की जा सके. उन्होने किसानों के द्वारा स्थापित स्वयं सहायता समूहों को कृषि विविधिकरण हेतु प्रोत्साहन देने पर जोर दिया ताकि यह समूह क्लस्टर के रूप में औषधीय एवं सगंध पौधे की खेती कर सकें. उन्होने जोर देकर कहा कि औषधीय एवं सगंध पौधों के कृषक न केवल खेती पर ध्यान दें बल्कि मूल्य संवर्धन पर भी ध्यान केंद्रित करें ताकि वे अपनी आय में कई गुना मुनाफा कर सकें.

किसान मेले में औस-ज्ञान्या, सीमैप वार्षिक रिपोर्ट 2017 के साथ-साथ तीन उन्नतिशील तुलसी की प्रजातियां (सिम-अक्षय, सिम-सुवास तथा सिम-सुखदा) तथा एक नीबूघास की प्रजाति (सिम-अटल) भी किसानों को समर्पित की गई. इस अवसर पर यूपी वन विभाग, जन सेवा संघ शिरडी, आशीष कंसेंट्रेट इंटर्नैशनल प्रा. लि. तथा एलाइड केमिकल्स के साथ समझौता  ज्ञापन भी किया गया. इस दौरान औषधीय एवं सगंध पौधों से संबंधित मोबाइल ऐप का भी विमोचन किया गया. अंत में मुख्य अतिथि का सम्मान प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी (निदेशक सीमैप) ने खस जैकट, स्मृति चिन्ह तथा शौल देकर किया. इस अवसर पर किसान मेला समिति के अध्यक्ष डॉ. आलोक कालरा ने भी किसानों को संबोधित किया. किसान मेला के संयोजक डॉ. संजय कुमार ने संचालन किया. इस अवसर पर मेले में किसानों के लिए आयोजित परिचर्चा सत्र में वैज्ञानिक व उद्योगों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. वही किसानों के प्रश्नों का उत्तर विषय विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने दिया.

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