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#MeToo पर उच्चतम न्यायालय ने तुरंत सुनवाई करने से किया इंकार

देशभर में मी टू अभियान की जो लहर शुरू हुई है, वह थमने का नाम नहीं ले रही है। हाल ही में केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी और सांसद केसी वेणुगोपाल पर दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ है। केरल के पुलिस महानिदेशक लोकनाथ बेहरा ने बताया कि नायर की शिकायत पर चांडी और वेणुगोपाल के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं।

इसी बीच उच्चतम न्यायालय ने मी टू अभियान के तहत लगे आरोपों पर तुरंत सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। न्यायालय में सोमवार को एक वकील ने मी टू के मामलों का स्वत: संज्ञान में लेकर तुरंत सुनवाई करने या राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा सभी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की याचिका दाखिल की थी। हालांकि न्यायालय ने ऐसा करने से मना कर दिया है।

बता दें कि मी टू अभियान की शुरुआत फिल्म जगत से हुई थी। सबसे पहले अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर पर 10 साल पहले यौन शोषण करने का आरोप लगाया था। इसके बाद फिल्म जगत की कई हस्तियों के नाम सामने आए है। फिल्म जगत के बाद मीडिया, राजनेता और केंद्रीय मंत्री तक इस अभियान की आंच पहुंची। मोदी सरकार में मंत्री एमजे अकबर पर कई महिला पत्रकारों ने यौन शोषण का आरोप लगाया। दबाव बढ़ने की वजह से उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

वहीं मी टू के तहत सामने आ रहे यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच के लिए जजों और कानूनविदों की कमेटी नहीं बल्कि मंत्रियों का समूह (जीओएम) बनाई जाएगी। सरकार इसके बारे में जल्द ही अधिसूचना जारी कर सकती है। इसके अलावा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के स्तर पर एक आंतरिक कमेटी भी गठित की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि जीओएम का गठन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में किया जाएगा। पहले ऐसे संकेत थे कि इसकी अध्यक्षता कोई वरिष्ठ महिला मंत्री करेगी।

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