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राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में मनाया गया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस

लखनऊ: राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान द्वारा सोमवार को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया. इस अवसर पर प्रो.एके सिंह (पूर्वउपमहानिदेशक प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली एवं पूर्व कुलपति, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर) अतिथि थे. आज का दिन संस्थान द्वारा ‘ओपन डे’ घोषित किया गया. इसके अंतर्गत संस्थान की विभिन्न प्रयोगशालायें, अभिदर्शन, पादपालय, पुस्तकालय, वनस्पति उद्यान आदि सुबह 11 से शाम 4 बजे तक आमजन एवं स्कूली छात्र छात्राओं हेतु खुले रहे.

मुख्य अतिथि प्रो.एके सिंह ने ‘प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों का आंकलन’ विषय पर आधारित सम्बोधन में कहा कि भारतमें विश्व की लगभग 17.5 फीसदी आबादी निवास करती है जिसमें से 50 फीसदी आज भी जीवन यापन हेतु कृषि पर निर्भर है. ऐसे में यह चिंताजनक है कि ऐसे कृषि प्रधान देश को वर्ष 2006 में जल उपलब्धता के मामले में तनावग्रस्त घोषित किया जा चुका है. दूसरी ओर जलवायु तपन के चलते प्रति सेंटीग्रेट तापमान के बढ़ने से सिंचाई हेतु जल की मांग में 10 फीसदी वृद्धि होती है. अनुमान है कि वर्ष 2025 तक पानी में 10 फीसदी कमी की चुनौती के साथ भारत को अपनी बढ़ती जनसँख्या का पेट पालने के लिए 37 फीसदी अधिक गेंहू एवं चावल उत्पन्न करना होगा. यही नहीं 2050 तक हमें अपनी भूमि उत्पादकता को चार गुना, जल उत्पादकता को तीन गुना, श्रम उत्पादकता को 6 गुना एवं ऊर्जा कुशलता को दुगना करने की चुनौती से भी निपटना है. हमें अपनी बीमार मृदा का भी सुधार करना होगा जिसमें आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा में 50 से 80 फीसदी तक की कमी देखी जा रही है. संस्थान के निदेशक प्रो.एसके बारिक ने उपस्थितजनों का स्वागत करते हुये संस्थान के इतिहास, लक्ष्यों एवं उपलब्धियों का उल्लेख किया एवं संस्थान द्वारा विकसित मधुमेह रोधी औषधि एवं सफ़ेद मक्खी प्रतिरोधी कपास का उल्लेख करते हुए कहा कि संस्थान मानव समाज एवं पर्यावरण के हित में निरंतर नयी प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए प्रयासरत है.

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