Business News - व्यापार

RBI केंद्र सरकार को देगा 50 हजार करोड़ रुपये ! जालान कर सकते है सिफारिश

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति केंद्रीय बैंक की आकस्मिक निधि (कॉन्ट‍िन्जेंसी फंड) से 50,000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार को देने की सिफारिश कर सकती है. यह समिति आरबीआई के आरक्षित पूंजी निधि के आकार की जांच-पड़ताल कर रही है. समिति अपनी रिपोर्ट इस सप्ताह आरबीआई को सौंपेगी.

गौरतलब है कि यह मसला काफी संवेदनशील रहा है. केंद्र सरकार रिजर्व बैंक के फंड से धन हासिल करना चाहती है, जबकि कई वर्गों में इसको लेकर विरोध है. न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि ईसीएफ (आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क) समिति के सदस्यों द्वारा प्राप्त फॉर्मूले के अनुसार 50,000 करोड़ रुपये हस्तांतरण का सुझाव दिया जा सकता है.

आरबीआई की सालाना रिपोर्ट 2017-18 के अनुसार, विभिन्न प्रकार के रिजर्व फंड में से आकस्मिक निधि 2.32 लाख करोड़ रुपये, परिसंपत्ति विकास निधि 22,811 करोड़ रुपये, मुद्रा व स्वर्ण पुनर्मूल्यांकन खाता 6.91 लाख करोड़ रुपये और निवेश पुनर्मूल्यांकन खाता रि-सिक्योरिटीज 13,285 करोड़ रुपये है. कुल निधि 9.59 लाख करोड़ रुपये है.

2.32 लाख करोड़ रुपये चाहती है केंद्र सरकार

केंद्र सरकार पूरी आकस्मिक निधि 2.32 लाख करोड़ रुपये चाहती है, लेकिन जालान समिति मुद्रा में उतार-चढ़ाव को लेकर पूरी निधि सरकार को हस्तांतरित किए जाने के पक्ष में नहीं है. सरकार मानती है कि आकस्मिक निधियों व अन्य निधियों के हस्तांतरण के माध्यम से आरबीआई के पास पर्याप्त पूंजी से अधिक रकम है.

अटकलें यह लगाई जा रही थीं कि केंद्र सरकार कुल आरक्षित निधि 9.6 लाख करोड़ रुपये की एक तिहाई रकम का ट्रांसफर चाहती है. हालांकि आधि‍कारिक तौर पर सरकार इससे इंकार करती रही है. पिछले साल सरकार ने कहा था कि आरबीआई को 3.6 लाख करोड़ रुपये या एक लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहने का कोई प्रस्ताव नहीं है.

सरकार के मना करने के बावजूद मसला ज्यों का त्यों है. अधिकारियों ने बताया, ‘फिलहाल आरबीआई की पूंजी के 27 फीसदी के प्रावधान की जरूरत है. हमारे आकलन के अनुसार अगर आरबीआई 14 फीसदी का प्रावधान करता है तो वह 3.6 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध कर सकता है.

बना हुआ है मतभेद

रिजर्व बैंक के फंड में से सरकार को रकम सौंपने के मसले पर रिजर्व बैंक की कमिटी में भी मतदभेद था. छह सदस्यीय जालान समिति का गठन 26 दिसंबर 2018 को किया गया था. समिति के सदस्य मतभेदों को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. एक पूर्व बैंकिंग सचिव ने कहा, ‘घरेलू बॉन्ड के लिए विदेशी मुद्रा रिजर्व फंड और परिसंपत्ति पुनर्मूल्यांकन निधि को सरकार नहीं छू सकती है.’

आरबीआई बोर्ड के एक पूर्व सदस्य ने कहा कि कानूनी तौर पर आरबीआई अपनी आरक्षित निधि का त्याग नहीं कर सकता है. वह सिर्फ किसी विशेष वर्ष का मुनाफा सरकार को दे सकता है. सिर्फ आकस्मिक निधि सरकार को हस्तांतरित करने पर विचार किया जा रहा है.

Related Articles

Back to top button