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आरबीआई ने नीतिगत दरों में नहीं किया कोई बदलाव, रेपो दर 4 प्रतिशत

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने गुरुवार को महंगाई की आशंका के मद्देनजर नीतिगत दरों को पूर्व की भांति यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया है। जिससे आम लोगों को झटका लगा है क्योंकि घर, कार और व्यक्तिगत ऋण पर ब्याज दरों में तत्काल कमी आने की उम्मीद समाप्त हो गई है।

समिति की चालू वित्त वर्ष 2020-21 की ऋण एवं मौद्रिक नीति की छठी द्विमासिक समीक्षा की तीन दिवसीय बैठक के बाद आज जारी निर्णय के अनुसार नीतिगत दरों को यथावत रखा गया है जबकि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई के बढ़कर 6.5 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है। आरबीआई ने इसे देखते हुए रेपो दर को 4 प्रतिशत पर पूर्ववत रखा गया है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद कहा कि प्रमुख नीतिगत दरों को यथावत रखा गया है। उन्होंने केन्द्रीय बैंक के रुख को उदार बनाये रखकर कोविड-19 संकट से पीड़ित अर्थव्यवस्था की मदद के लिए जरूरी होने पर भविष्य में कटौती का संकेत दिया।

गवर्नर शक्तिकांत दास ने केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) द्वारा लिए गए निर्णयों की घोषणा करते हुए कहा कि रेपो दर को चार प्रतिशत पर यथावत रखा गया है। इसके साथ रिवर्स रेपो दर भी 3.35 प्रतिशत के स्तर पर बनी हुई है।

उन्होंने कहा कि एमपीसी ने ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं करने के पक्ष में मतदान किया और वृद्धि को समर्थन देने के लिए उदार रुख को जारी रखने की बात कही। आरबीआई ने इससे पहले 22 मई को अपनी नीतिगत दर में संशोधन किया था, जिसके बाद ब्याज दर रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है।

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