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संवेदनाओं का जाल दिमाग में हमारी दुनिया को अंकित करता है : प्रोफेसर शुभा टोले

लखनऊ: सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) के 78 वां सीएसआईआर स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च मुंबई में प्रोफेसर शुभा टोले (न्यूरोसाइंटिस्ट व प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर)  ने “एक मस्तिष्क का निर्माण कैसे करें” पर एक बहुत ही दिलचस्प व्याख्यान दिया. उन्होंने कहा कि कैसे कंप्यूटर में सर्किट की तरह ही हमारे मस्तिष्क में बिछे संवेदनाओं के सर्किट हमें अपने आसपास की चीजों को जानने में मदद करते हैं.

हम संवेदनाओं के आधार पर ही अपने मस्तिष्क का निर्माण कर पाते हैं,जैसे हम कैसे देख सकते हैं?हम कैसे सुन सकते हैं? कंप्यूटर सर्किट की तरह ही हमारा मस्तिष्क भी जब सही रास्ते को सही रास्ते से जोड़ता है तो संवेदना हमारे सामने स्पष्ट तस्वीर लाती है. इस अवसर पर निदेशक प्रोफेसर तपस कुमार कुंडू ने कहा कि हमें सीएसआईआर का हिस्सा बनने पर गर्व महसूस हो रहा है, 1942 में स्थापित इस संगठन ने भारतीय विज्ञान और उद्योग के विकास और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

सीडीआरआई में मनाया गया सीएसआईआर स्थापना दिवस समारोह

निदेशक प्रोफेसर तपस कुमार कुंडू ने कहा कि सीडीआरआई, लखनऊ ने लुमेन मार्केटिंग कंपनी, चेन्नई के साथ तकनीक का हस्तांतरण किया है एवं यह सीएसआईआर-सीडीआरआई टीम द्वारा बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लाजिया (बीपीएच) के प्रबंधन के लिए विकसित इस न्यूट्रास्यूटिकल उत्पाद का विपणन करे. यह 50 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों की मुख्य 10 बीमारियों में से एक है. बीपीएच वृद्ध पुरुषों की सबसे आम समस्या है. इसकी व्यापकता उम्र के साथ-साथ बढ़ती जाती है और पैथोलॉजिकल रूप से बीपीएच एक ऐसी स्थिति है, जिसमें प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ जाती है एवं प्रोस्टेट का यह गैर-कैंसरयुक्त विकास, पेशाब को असहज बनाता है एवं मरीज को बार-बार पेशाब करना पड़ता हैं एवं उसका मूत्र त्याग पर नियंत्रण भी नहीं रहता है. हिस्टोपैथोलॉजिक बीपीएच की व्यापकता उम्र पर निर्भर है, आमतौर पर 40 साल की उम्र के बाद इसके प्रारंभिक लक्षण विकसित हो सकते हैं और 60 वर्ष की आयु के आधे से अधिक पुरुषों एवं 70 और 80 वर्ष की आयु के 90% पुरुषों में बीपीएच के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं.

सीडीआरआई अवार्ड्स-2019 ड्रग रिसर्च में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिए गए

सीएसआईआर-सीडीआरआई, ड्रग डिस्कवरी एंड डेवलपमेंट के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान करने वाले भारत के युवा वैज्ञानिकों को हर साल पुरस्कार प्रदान करता है. इस वर्षका प्रथम सीडीआरआई अवार्ड -2019 (जीव विज्ञान),आईआईएससी, बेंगलुरु के डॉ अमित सिंह को, द्वितीय सीडीआरआई अवार्ड-2019 (जीव विज्ञान), सीएसआईआर-आईआईसीबी, कोलकाता से डॉ दीप्यमान गांगुली को, प्रथम सीडीआरआई अवार्ड-2019(रासायनिक विज्ञान) को आईआईएसईआर, पुणे के डॉ एस. जी. श्रीवत्सन को और द्वितीय सीडीआरआई अवार्ड-2019(रासायनिक विज्ञान),जेएनसीएएसआर,बेंगलुरु केडॉ टी गोविंदराजू को प्रदान किया गया.

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