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UNSC ने बताया- अफगानिस्तान में बोल रहा है ‘विकास’, केवल सुरक्षा है चिंता का मसला

यूएन। आतंकवाद को पालने वाला पाकिस्तान का पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान प्रगति की ओर बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का मानना है कि अफगानिस्तान शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रगति कर रहा है। हालांकि उसका यह भी मानना है कि यहां सुरक्षा अब भी चिंता का मसला है। अफगानिस्तान की यात्रा के दौरान यूएनएससी ने यह महसूस किया। अपनी इस यात्रा से अधिकारी वापस लौट आए हैं। अपने सकारात्मक विकास ने अफगानिस्तान ने राजदूतों को काफी प्रभावित किया है।UNSC ने बताया- अफगानिस्तान में बोल रहा है 'विकास', केवल सुरक्षा है चिंता का मसला

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान डच के राजदूत करेल वैन ओस्ट्रेरोम (Karel van Oosterom) ने भी माना की समाज में महिलाओं की स्थिति, लड़के और लड़कियों के लिए शिक्षा और स्वस्थ्य क्षेत्र में अफगानिस्तान मजबूती से आगे बढ़ रहा है। डच के राजदूत का प्रतिनिधिमंडल सुरक्षा परिषद में अफगान मुद्दे के “पेनहोल्डर” है।

अमेरिका के राजदूत निक्की हेली ने कहा, ‘अमेरिकी राजदूत ने भी अफगानिस्तान में काफी परिवर्तन देखा है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी सुधार के साथ आगे बढ़ रहे हैं। वे इस तथ्य से काफी प्रभावित थी कि 72 से घटाकर सेवानिवृत्ति की आयु 60 साल कर देने से 70 जनरल सहित 4000 सैनिक रिटायर हो जाएंगे। यह देश में नई सैन्य लीडरशिप लेकर आएगा। आधी अफगान कैबिनेट 40 साल की उम्र से कम की है। उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान तरक्की की दिशा में बढ़ रहा है।’

कजाकिस्तान के स्थाई प्रतिनिधि कैरात उमारोव ने कहा, इसके बावजूद अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति में अस्थिरता बनी हुई है। उमारोव ने जनवरी में सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के रूप में अफगानिस्तान मिशन का नेतृत्व किया था। राजदूत ने परिषद से कहा, ‘इस मिशन में यह चिंता जताई गई कि अफगानिस्तान में आतंकवादी समूहों के रूप में हताहतों की संख्या में बढ़ोतरी का हुई है, कई नए लोग आतंकी संगठन से जुड़ रहे हैं और तेजी से हिंसक रणनीति अपना रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि इस समूह के सदस्यों ने शिया मुसलमानों और उनके पूजा स्थलों पर हमले तेज कर दिए हैं। जो देश में सांप्रदायिक और जातीय तनाव को मजबूत करने की संभावना को उजागर करता है।

बता दें कि यह यात्रा फरवरी में आयोजित होने वाली काबुल प्रक्रिया बैठक से ठीक पहले हुई है। जिसमें सरकार सशस्त्र विरोध से निपटने के लिए अपनी रणनीति तैयार करेगी। उमारोव ने कहा कि एकमत है कि एकमत था कि संघर्ष को खत्म करना है, केवल व्यापक प्रयास सशस्त्र विपक्ष को पराजित कर सकेंगे। अफगानिस्तान में एक राजनीतिक प्रक्रिया के अभाव में कोई सैन्य समाधान नहीं है।’

कुछ वार्ताकारों से दावों का हवाला देते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि प्रगति सीमित हो गई है। जिसना कहना है कि सरकार की ओर से चिंतित होने के बावजूद तालिबान ने शांति प्रक्रिया स्थापित करने की ओर महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया है। बता दें कि सुरक्षा परिषद शनिवार से सोमवार तक अफगानिस्तान का दौरा किया।

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