आखिर रूप, रस, गंध, स्पर्श और स्वाद के आनंद का केन्द्र क्या है?

स्वयं के भीतर बैठकर अन्तःकरण की गति और विधि देखना ही अध्यात्म है हृदयनारायण दीक्षित : संसार प्रत्यक्ष है। दिखाई पड़ता है। लेकिन प्रत्यक्ष संसार के साथ ही एक संसार हम सबके भीतर भी है। इसकी वाह्य सीमा शरीर है। विज्ञान से सुपरिचित हिस्सा सरल है। स्वास नली, भोजन मार्ग, आमाशय, छोटी आंत, पैंक्रियाज, एपीनडेक्स … Continue reading आखिर रूप, रस, गंध, स्पर्श और स्वाद के आनंद का केन्द्र क्या है?