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जहरीले पानी से 12 साल में एक तिहाई गांव हो गया विकलांग

रायपुर.कुंगाल गुड़ा, 300 परिवारों और 1500 की आबादी वाला एक छोटा-सा गांव। कई अभावों के बावजूद एक दशक पहले तक गांव खुश रहना जानता था, लेकिन फिर जहरीले पानी ने ऐसा असर डाला कि 12-13 साल में एक तिहाई आबादी अपने पैरों पर सीधे खड़े होने में अक्षम हो गई। बस्तर की बाकेल ग्राम पंचायत सात टोलों में है। इसी में से एक है कुंगाल गुड़ा। 2004-05 तक यहां सब ठीक था। लोग कुंए और नदी का पानी पी रहे थे। इसके बाद पहला सरकारी हैंडपंप लगा। इसके पानी में फ्लोरोसिस की मात्रा इतनी अधिक थी कि उसने लोगों की जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। गांव बिस्तर और बैसाखियों पर आने लगा। 500 लोगों की हड्डियों में खराबी…
जहरीले पानी से 12 साल में एक तिहाई गांव हो गया विकलांग
 
– गांव के 45 वर्षीय लखमू बघेल बताते हैं कि एक साल के अंदर ही उनकी पत्नी के कमर में दर्द शुरू हो गया। धीरे-धीरे कमर झुकने लगी और अब वे सीधी खड़ी नहीं हो पातीं। दो बेटे हैं, दोनों के ही पैर टेढ़े हो गए हैं। जबकि दोनों ही जन्म के समय सामान्य थे, जब तीन-चार साल के हुए तो पैर टेढ़े होने लगे।
– गांव में और भी कई बच्चों में ऐसी समस्या होने लगी तो स्वास्थ्य शिविर लगा।
– रहमत बघेल के नौ साल के बेटे वासुदेव का भी दाहिना पैर टेढ़ा हो गया है। इसी तरह गुदराम बघेल की 40 वर्षीय पत्नी सीधी खड़ी नहीं हो पाती।

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– हरदू बघेल (55 वर्ष) की पत्नी डाला बघेल की 10 साल से कमर टेढ़ी है, इसके कारण चल नहीं पाती। उनकी 18 साल की बेटी लचन देई के पैर टेढ़े हो गए हैं। किसी तरह मजदूरी कर वह परिवार चला रही हैं।

– इस तरह देखते ही देखते 1500 की आबादी वाले गांव में 500 लोगों की हड्डियों में विकृति आ गई।
 
हैंडपंप और बोर सील
– गांव के शिक्षक दुर्योधन बैद्य ने बताया कि यहां तीन सरकारी हैंडपंप और दो बोर थे। पीएचई ने हैंडपंप और बोर सील कर दिए हैं। पंचायत में बनी टंकी से पानी सप्लाई किया जा रहा है। हालांकि कई बार बोर जल जाने से पानी नहीं मिल पाता। ऐसे में लोग फिर से हैंडपंप से पानी लेने लगते हैं।
– यहां एक फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाया गया था, लेकिन वह भी बंद पड़ा है।
 
2km दूर से पानी आता है
– बाकेल की सरपंच सुनीता मौर्य का कहना है कि उन्होंने पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए भरपूर प्रयास किया है। गांव में करीब दो किलोमीटर दूर से पानी आपूर्ति करवा रही हैं। मोटर जल जाने के कारण बीच में पांच महीने के लिए यह बंद था, लेकिन उसे सुधार दिया गया है।
 
कैल्शियम की गोली
– बस्तर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार नाग ने बताया कि जिनके पैर और कमर टेढ़ी हो गई है, वे पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकते। जब उनसे पूछा गया कि मरीजों को शुरुआती दिनों में ही इलाज और दवा मिली थी अब नहीं तो कहने लगे, कैल्शियम की गोली बांटते हैं।

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