राजनीति
धरी रह गई दिग्विजय की रणनीति, ऐसे हाथ से निकला गोवा
गोवा में सबसे बड़ी पार्टी चुने जाने के बाद कांग्रेस के 17 विधायकों के साथ पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह जिस समय गोवा के एक पांच सितारा होटल में बैठकर विधायक दल का नेता चुनने के लिए माथापच्ची कर रहे थे उसी समय इस छोटे से राज्य की राजनीति दूसरी करवट ले रही थी।
कांग्रेस जहां विधायक दल का नेता चुनने में ही व्यस्त रह गई वहीं भाजपा ने 13 विधायकों के बूते ही परिकर के नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया। राज्यपाल ने भाजपा की इस अर्जी को मान भी लिया और सरकार बनाने के लिए परिकर को आमंत्रित भी कर दिया। इसके साथ ही कांग्रेस को एहसास हो गया कि बाजी उसके हाथ से निकल गई है।
सोमवार को सुबह से शाम तक कुछ घंटों के अंतराल में घटे इस घटनाक्रम में दिग्विजय सिंह और कांग्रेस की सारी रणनीति धरी रह गई। दिग्विजय सिंह ने खुद इसकी जिम्मेदारी तो ली लेकिन ठीकरा विजय सरदेसाई और निर्दलीय विधायक रोहन खुंटे के सिर फोड़ दिया। लेकिन इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि राजनीति के दिग्गज माने जाने वाले दिग्गी राजा गोवा के मैनेजमेंट में पूरी तरह फेल हो गए, जहां न उनकी नीति चली न रणनीति। केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी और मनोहर परिकर उनकी नाक के नीचे से उनके समर्थन वाले विधायकों को उड़ा ले गए और दिग्गी राजा उनका इंतजार करते रहे।
असल में गोवा में सबसे ज्यादा 17 सीटें पाने के बाद कांग्रेस ने सरकार बनाने की कवायद तो शुरू की लेकिन रणनीति मजबूत नहीं बनाई। न पार्टी अपने विधायकों को एकजुट रख पाई न निर्दलीयों और अन्य विधायकों को ही विश्वास में ले पाई। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी की प्राथमिकता सरकार बनाने के लिए जरूरी चार विधायकों का जुगाड़ करने की बजाय विधायक दल का नेता चुने जाने पर रही।
एक पांच सितारा होटल में चल रही इस कवायद में ही पार्टी का पूरा दिन बीत गया लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत, प्रताप सिंह राणे और राज्य कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एल फ्लेरिया में से किसी एक नाम का चुनाव नहीं किया जा सका। बैठक में खुद दिग्विजय सिंह और राज्य के शीर्ष नेता मौजूद थे, लेकिन उन्हें इस बात का जरा भी एहसास नहीं था कि बहुमत के लिए बाकी चार विधायकों का जुगाड़ कैसे किया जाएगा।