परम सत्ता रस है, शब्द जीवन को मधुरस से भर दे, तब कविता

हृदयनारायण दीक्षित : अस्तित्व एक इकाई है। भारतीय दर्शन में इस अनुभूति को अद्वैत कहते हैं। अस्तित्व में दो नहीं हैं। यह एक है। यही एक भिन्न-भिन्न रूपों में प्रकट होता है। ऋग्वेद के ज्ञान सूक्त में कहा गया है कि हमें पहले रूप दिखाई पड़ते हैं। हम प्रत्येक रूप का एक नाम रखते हैं। … Continue reading परम सत्ता रस है, शब्द जीवन को मधुरस से भर दे, तब कविता