प्रत्यक्ष मानवीय गुण है पितरों का आदर

हृदयनारायण दीक्षित : श्रद्धा भाव है और श्राद्ध कर्म। श्रद्धा मन का प्रसाद है और प्रसाद आंतरिक पुलक। पतंजलि ने श्रद्धा को चित्त की स्थिरिता या अक्षोभ से जोड़ा है। श्रद्धा की अभिव्यक्ति श्राद्ध है। भारत में पूर्वजों पितरों के प्रति श्रद्धा की स्थाई भावना है। वैसे तो वरिष्ठों, पूर्वजों के प्रति हम प्रतिपल श्रद्धालु … Continue reading प्रत्यक्ष मानवीय गुण है पितरों का आदर