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बंद कमरे में महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा की जनसुनवाई आज

नागपुर.उत्तर अंबाझरी रोड स्थित महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा को पट्टे पर दी गई जमीन के नवीनीकरण की जनसुनवाई का समय अंतिम क्षणों में बदल दिया गया है। अब यह सुनवाई 21 अगस्त को दोपहर 12 बजे के स्थान पर सुबह 11 बजे नागपुर सुधार प्रन्यास के सभापति डा. दीपक म्हैसेकर के कक्ष में होगी। खास यह कि जनसुनवाई बंद दरवाजे में सुनी जाएगी। जानकारी के अनुसार नासुप्र ने केवल उन दो व्यक्तियों को ही सुनवाई का मौका दिया है, जिन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश के बाद महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा के पट्टे के नवीनीकरण पर नासुप्र को लिखित में आपत्ति भेजी थी।बंद कमरे में महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा की जनसुनवाई आज
– ध्यान रहे कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के आदेश में दखल देने से इनकार किया था। इतनी राहत अवश्य प्रदान की थी कि सभा 40 करोड़ रुपए का भुगतान करे व महाराष्ट्र सरकार के समक्ष नासुप्र द्वारा 163 करोड़ रुपए की अतिरिक्त प्रीमियम के विरुद्ध अपील करे। सभा ने 40 करोड़ रुपए का भुगतान तो नहीं किया, लेकिन अपील जरूर दायर कर दी है।

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अापत्ति हो, तो सुनी जाए
– सिटीजन फोरम इक्वलिटी के अधिवक्ता तुषार मांडलेकर ने बताया कि फोरम के अध्यक्ष मधुकर कुकड़े ने महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा व वोकहार्ट अस्पताल के विरुद्ध बंबई उच्च न्यायालय के समक्ष जनहित याचिका दायर की थी। 7 सितंबर 2016 में परित इसके आदेश के अनुच्छेद 90 के निर्देश क्रमांक 9 में साफ लिखा है कि पट्टा नवीनीकरण के पूर्व जिन व्यक्तियों को भी आपत्ति हो, उन्हें सुना जाए।
– अर्थ साफ है कि जनसुनवाई ली जाए। लेकिन नासुप्र केवल उन दो व्यक्तियों को ही सुनने को तैयार है, जिन्होंने लिखित आपत्ति दर्ज कराई है। जबकि जनसुनवाई में आमजन लिखित में व जिस दिन जनसुनवाई निश्चित की गई है, उस दिन मौखिक या लिखित में आपत्ति व सुझाव दे सकता है।
 
उच्चतम न्यायालय के आदेश की भी उपेक्षा
– महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा ने उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार 40 करोड़ रुपए नासुप्र के पास जमा नहीं कराए हैं। इंडिया अगेंस्ट करप्प्शन के भरत जोग ने कहा कि जब महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा ने उन पर लगाई गई अतिरिक्त प्रीमियम की मूल राशि का भुगतान ही नहीं किया है, तो नासुप्र पट्टे का नवीनीकरण किस आधार पर कर रही है।
– नासुप्र के सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कानूनी सलाह ली जा रही है। इसे समझने में कुछ परेशानी हो रही है। कानूनी सलाह आने के बाद ही 40 करोड़ रुपए के बारे में कुछ किया जा सकेगा।
 
नासुप्र का कथन
नागपुर सुधार प्रन्यास के सभापति डा. दीपक म्हैसेकर ने कहा कि मेरे कक्ष में सुनवाई होगी। जिन्होंने लिखित में आपत्तियां ली हैं, केवल उन्हें ही सुना जाएगा। 40 करोड़ रुपए जमा कराने के सवाल पर उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

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