शतपथ ब्राह्मण में प्रश्न है – “मनुष्य को कौन जानता है?” मनुष्य को दूसरा मनुष्य नहीं जान सकता। प्रत्येक मनुष्य अनूठा है। अद्वितीय है। उस जैसा दूसरा मनुष्य है ही नहीं। इसलिए मनुष्य को जानने का एकमात्र उपाय है स्वयं को जानना। सभी मनुष्यों के सामान्य घटक एक जैसे हैं। सबका अद्वितीय होना अलग विशिष्टता … Continue reading ‘बड़ा रहस्यपूर्ण है ‘स्वयं’, सोचता हूं कि क्या मेरा व्यक्तित्व दो ‘स्वयं’ से बना है, एक देखता है, दूसरा दिखाई पड़ता है’
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