रामराज्य : आशुतोष राणा की कलम से..{भाग ५}

स्तम्भ:  मंथरा के जाने के बाद कैकेयी मंथरा के विचारों का सूक्ष्म अवलोकन करने लगीं, मनुष्य स्वभाव से ही महत्वाकांक्षी होता है, वह सदैव अपनी प्रभुता को लेकर चिंतित रहता है। यहाँ तक कि वह अपने प्रभुत्व की स्थापना के लिए उचित-अनुचित के बीच का भेद भी विस्मृत कर देता है। और कालान्तर में उसका … Continue reading रामराज्य : आशुतोष राणा की कलम से..{भाग ५}