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लीकेज से गिरि पेयजल योजना की पाइप में बने फव्वारे

शिमला: शहर में पेयजल संकट के चलते लोगों को तीसरे दिन पानी दिया जा रहा है लेकिन पेयजल परियोजनाओं की मेन लाइन में लीकेज की वजह से जगह जगह फव्वारे बने हैं। गििर परियोजना लीकेज के चलते लाखों लीटर पानी फव्वारे बनकर बह रहा है और कई छोटे नाले भी बन गए हैं। ऐसे में निगम प्रशासन की ओर से अभी तक परियोजना की मेन लाइन की रिपेयर का काम शुरू नहीं किया गया है। मेन लाइन में भारी लीकेज के चलते लाखों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है।
लीकेज से गिरि पेयजल योजना की पाइप में बने फव्वारेगुम्मा परियोजना में भी कई स्थानों में भारी लीकेज देखी गई है और प्रशासन की ओर से इस लीकेज को दूर करने के लिए अभी तक काम शुरू नहीं किया गया है। हालांकि निगम प्रशासन की ओर से इसकी रिपेयर के लिए कुछ माह पहले 2.50 करोड़ रुपए भी मंजूर कर दिए गए हैं। इस राशि से परियोजना की सेकंड स्टेज तक की मेन लाइन में मैसिव लीकेज के पैच को रिपेयर किया जाना है।
-इसमें हो रही देरी की वजह से रोजाना लाखों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है और निगम को लाखों रुपए के नुकसान के साथ शहर की जनता को भी पानी की तीसरे दिन की सप्लाई के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।गिरि परियोजना का निर्माण 2008 में पूरा हुआ था।
-परियोजना के निर्माण में 69 करोड़ रुपए के करीब खर्च किए गए थे। इतनी राशि खर्च करने के बाद भी आठ सालों में ही परियोजना की दयनीय स्थिति है और परियोजना स्थल में बिछाई गई पाइपलाइन में जगह जगह लीकेज देखी गई है। रिपेयर के लिए अभी तक लाखों खर्च किए गए हैं और वर्तमान में इस परियोजना की विजिलेंस जांच भी शुरू कर दी गई है।
-दो किलोमीटर लाइन को बदलने से अनुमान लगाया जा रहा था कि परियोजना से रोजाना छह लाख रुपए की कीमत का पानी बर्बाद होने से बचेगा रहा था। परियोजना 20 एमएलडी की क्षमता के लिए डिजाइन है लेकिन इसमें लीकेज के चलते शहर को पूरा पानी नहीं मिल पा रहा है।
 
इन परियोजनाओं से आता है पानी
नगर निगम को मुख्य पांच परियोजनाओं से पानी की सप्लाई मिलती है। जबकि अश्वनी खड्ड पेयजल परियोजना की वजह से पीलिया फैलने के चलते परियोजना को बंद कर दिया गया है। रविवार को निगम को विभिन्न परियोजनाओं से बल्क में 40.75 एमएलडी पानी की सप्लाई मिली है।
  
-गिरि पेयजल योजना की मुख्य लाइन की पाइपें खराब होने के मामले की विजिलेंस जांच शुरू हो चुकी है। तय मानकों के मुताबिक पाइपें बिछाने के कारण ही करीब दो हजार मीटर मुख्य लाइन खराब हुई, यह अब तक की विजिलेंस जांच में स्पष्ट हो चुका है। विजिलेंस मामले की गहन छानबीन कर रही है और इसमें काफी कुछ अनियमितताएं सामने आने वाली है। गििर योजना वर्ष 2008 में बनी थी। इसका संचालन 2016 तक आईपीएच ने किया है। अब योजना नगर निगम के अधीन है।
-नगर निगम की ओर से ही योजना की लाइन की मरम्मत में टांके लगाने के नाम पर भारी गड़बड़झाले की शिकायत की गई है। भारी लीकेज के बावजूद पाइपें बदलने और मरम्मत का काम आठ साल तक ठेके पर करवाने के कारण निगम का ध्यान इस तरफ गया और सरकार से विजिलेंस जांच की मांग गई। निगम के मुताबिक आईपीएच ने केवल घटिया पाइपें बिछाई, बल्कि मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए व्यर्थ बहा दिए।

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