वासुदेव_कृष्ण :आशुतोष राणा की कलम से स्तम्भ {भाग_५]

स्तम्भ: मेरा अनुभव है कृष्ण, कि #दुर्भाग्य व्यक्ति को #अपने_पास_बुलाता_है, किंतु #सौभाग्य व्यक्ति तक #स्वयं ही पहुँच जाता है। कंस मधुर हास्य से हँसते हुए बोला- देखो ना, मैं कंस भयंकर आसुरी निद्रा में मग्न था, मेरे भीषण कर्मों के बाद भी #सौभाग्यरूपी_सच्चिदानंद_श्रीकृष्ण स्वयं ही चलकर मेरे पास मथुरा आ गए थे, और मेरे ना … Continue reading वासुदेव_कृष्ण :आशुतोष राणा की कलम से स्तम्भ {भाग_५]