वासुदेव_कृष्ण : आशुतोष राणा की कलम से… {भाग_४}

स्तम्भ : कृष्ण, मेरी माँ पवनरेखा अनिंद्य सुंदरी थी, अपने पति उग्रसेन के प्रति पूर्णतः समर्पित। किंतु किसी भी स्त्री के लिए सम्बंध से अधिक महत्वपूर्ण सम्मान होता है, दुर्योग से कुछ ऐसा घटित हुआ कि माँ का महाराज उग्रसेन के साथ सम्बंध तो बचा रहा किंतु उसके सम्मान का हरण हो गया। विवाह के … Continue reading वासुदेव_कृष्ण : आशुतोष राणा की कलम से… {भाग_४}