वासुदेव_कृष्ण : आशुतोष राणा की कलम से..{भाग_२]

स्तम्भ : कंस ने लगभग डाँटते हुए कहा- मुझे बहलाओ मत कृष्ण। मैं गोकुल की गोपी नहीं हूँ, जो तुम्हारे बोले गए प्रत्येक शब्द को सत्य मान लूँ। और ना ही तुम्हारा भक्त हूँ, जो तुम्हारे अन्याय को भी तुम्हारी कृपा मानकर भावाभिभूत रहते हैं। पुण्य में इतना सामर्थ्य नहीं होता कृष्ण की वह पाप … Continue reading वासुदेव_कृष्ण : आशुतोष राणा की कलम से..{भाग_२]